शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप; सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण बहाल किया

Jun 1, 2025 - 14:51
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शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप; सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण बहाल किया

ढाका (आरएनआई) बांग्लादेशी अभियोजकों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और दो वरिष्ठ अधिकारियों पर आधिकारिक तौर पर आरोप लगा दिए हैं। अभियोजकों ने 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान हिंसक कार्रवाई में उनकी कथित भूमिका के लिए मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया है। एक जांच रिपोर्ट में पाया गया कि शेख हसीना ने राज्य सुरक्षा बलों, अपने राजनीतिक दल और संबद्ध समूहों को सीधे आदेश दिया कि वे बड़े पैमाने पर हताहतों की संख्या में वृद्धि करने वाले अभियान चलाएं।

इस बीच बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को चुनाव आयोग को दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया। अंतरिम सरकार की ओर से इस पर प्रतिबंध हटाए जाने के करीब आठ महीने बाद यह फैसला आयास है। ऐसे में पार्टी के भविष्य के चुनावों में भाग लेने का रास्ता साफ हो गया।

रविवार को सुनवाई के दौरान मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने वीडियो साक्ष्य और विभिन्न एजेंसियों के बीच एन्क्रिप्टेड संचार का हवाला देते हुए कहा कि ये हत्याएं योजनाबद्ध थीं। इस्लाम ने कहा कि मामले में 81 लोगों को गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अभियोजकों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार के प्रमुख के रूप में शेख हसीना अशांति के दौरान सुरक्षा बल के अभियानों की कमान संभालती हैं।

हसीना ने 15 साल तक शासन करने के बाद अगस्त में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लाखों प्रदर्शनकारियों के दबाव में वे बांग्लादेश से नई दिल्ली चली गईं। प्रदर्शनकारियों ने हफ्तों तक सड़कों पर उतरकर शेख हसीना से पद छोड़ने की मांग की थी। उन पर और उनके परिवार के कुछ सदस्यों पर भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं। इस्लाम ने पिछले महीने कहा था कि बवाल के दौरान लगभग 1,500 लोग मारे गए और 25,000 घायल हुए।

दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी का पंजीकरण बहाल करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय प्रभाग ने आयोग को पार्टी का पंजीकरण बहाल करने का निर्देश दिया। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह चुनाव आयोग (ईसी) पर निर्भर करता है कि वह तय करे कि जमात अपने पारंपरिक 'तराजू' चिह्न का उपयोग करके चुनाव लड़ सकती है या नहीं? ईसी ने दिसंबर 2018 में जमात का पंजीकरण रद्द कर दिया था, जो बांग्लादेश की 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता का विरोध करती रही थी।

इससे पहले 2013 में बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण रद्द कर दिया था। कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि पार्टी राष्ट्रीय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 5 अगस्त, 2024 को उनके पद से हटाए जाने से कुछ दिन पहले पार्टी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। हसीना के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (एसएडी) नामक मंच द्वारा किया गया था। जमात और कई अन्य दलों ने एसएडी का समर्थन किया था।

शेख हसीना के पद से हटाए जाने के बाद पार्टी ने 2013 के प्रतिबंध वाले अदालती आदेश की समीक्षा के लिए अपील की। जमात के प्रमुख वकीलों में से एक मोहम्मद शिशिर मनीर ने कहा, 'आज एक दशक से चली आ रही कानूनी लड़ाई का समापन हो गया है। हमें उम्मीद है कि इस फैसले के बाद बांग्लादेश में एक जीवंत संसद होगी। हमें उम्मीद है कि मतदाता अब अपनी पसंद के जमात उम्मीदवार को वोट देंगे।' 

मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हाल ही में शेख हसीना की अवामी लीग को भंग कर दिया था। अवामी लीग की गैर मौजूदगी में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) देश के राजनीतिक क्षेत्र में मुख्य किरदार के रूप में उभरी। हालांकि, बीएनपी ने लंबे समय के सहयोगी जमात से खुद को अलग कर लिया है।

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