विकास नहीं, संरक्षण चाहिए ब्रज को: वृन्दावन कोरिडोर के नाम पर सांस्कृतिक विरासत का विनाश
(विवेक मथुरिया)

मथुरा (आरएनआई) ब्रज को विकास की नहीं सरंक्षण की जरूरत है, वृन्दावन एक धार्मिक आध्यत्मिक स्थान है अब यह बात हमें हर हाल में भूलनी होगी, इस सच को उन लोगों स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए जो लोग वृन्दावन को श्रीकृष्ण से जुड़ी लीलास्थली और एक बड़ी धार्मिक विरासत मानते हैं।यह कोरिडोर के नाम पर बाज़ार का विस्तार और प्रोत्साहन है और कृष्ण कालीन संस्कृति और विरासत का विनाश औऱ ध्वस्तीकरण है।
भला बाजार में जाकर कोई भजन ध्यान करता है? विदित रहे वृन्दावन एनसीआर का सबसे बड़ा 'रिलीजियस' पिकनिक डेस्टीनेशन है। ये मौज मस्ती के पर्यटन स्थल के रूप में बड़े बड़े कॉरपोरेट घरानों के लिए मुनाफे का स्पेस तैयार किया जा रहा है।ऐसे स्थानों को धार्मिक जगत में भौतिक आनंद जिसे मौज मस्ती कहा जाता है, उसे माना जाता है। जिसे अपसंस्कृति की संज्ञा दी गयी है। कॉरिडोर के विकास के साथ ही पांच सितारा होटल संस्कृति भी जल्दी देखने को मिलेगी। क्या यही कृष्ण के वृन्दावन का स्वरूप है? धिक्कार है ऐसे विकास को जो ब्रज को बाजार बना दे।
तरस तो उन लोगों पर आता है जो सनातनता का दंड और ध्वजा हाथ मे लिए मौन साधे बैठे हैं। असल मे ऐसे लोग शांत रहकर ब्रज वृन्दावन के विनाश में अपनी मौन सहमति दर्ज करा रहे हैं।
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