'यह गगनयान के लिए मील का पत्थर', शुभांशु के अंतरिक्ष मिशन में जाने पर बोले सेवानिवृत्त एयर कमोडोर
खराब मौसम के कारण आईएसएस जाने वाले अंतरिक्ष यान- एक्जियोम-4 का प्रक्षेपण 11 जून तक स्थगित कर दिया गया। इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जा रहे हैं। शुभांशु के अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने पर सेवानिवृत्त एयर कमोडोर रवीश मल्होत्रा ने खुशी जताई।

नई दिल्ली (आरएनआई) खराब मौसम के कारण अंतरिक्ष यान- एक्जियोम-4 का प्रक्षेपण टल गया। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जा रहे हैं। इस पर सेवानिवृत्त एयर कमोडोर रवीश मल्होत्रा ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि यह एक्जियोम 4 का प्रक्षेपण भारत के गगनयान मिशन यात्रा में मील का पत्थर है। रवीश मल्होत्रा को भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए विंग कमांडर राकेश शर्मा के साथ चुना गया था।
सेवानिवृत्त एयर कमोडोर रवीश शुक्ला ने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा 1.4 अरब भारतीयों को प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला को दो साल से अधिक समय तक कठोर प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा। इसकी शुरुआत रूस के प्रसिद्ध यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में हुई। इसके बाद शुभांशु अमेरिका गए और अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ प्रशिक्षण लिया था।
उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से गगनयान मिशन के लिए एक कदम है। अगले साल या 2027 में गगनयान मिशन होगा। सुधांशु शुक्ला और स्टैंडबाय अंतरिक्ष यात्री हमारी उड़ान के लिए एक अतिरिक्त जीत होगी। शुभांशु शुक्ला की व्यापक तैयारी ने अब उन्हें 1.4 अरब भारतीयों की उम्मीदों को लेकर मिशन के लिए तैयार कर दिया है। हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।
मिशन के दौरान ग्रुप कैप्टन शुक्ला के सामने आने वाले तकनीकी पहलुओं के बारे में सेवानिवृत्त एयर कमोडोर मल्होत्रा ने कहा कि अगर स्वचालित डॉकिंग सिस्टम में कुछ भी होता है तो वे अंतरिक्ष यान की डॉकिंग में साथी अंतरिक्ष यात्री व्हिटसन की सहायता करेंगे। शुभांशु डॉकिंग में वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्री की सहायता करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूं तो डॉकिंग स्वचालित आधार पर होती है। अगर कुछ होता है, तो पायलट मैनुअल डॉकिंग का काम संभालता है। इसलिए वे प्रशिक्षण लेते हैं। उन्होंने कहा कि मैनुअल डॉकिंग के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण सुनिश्चित करता है कि चालक दल किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए तैयार है।
सेवानिवृत्त एयर कमोडोर ने कहा कि पिछले 40-45 वर्षों में जब हमने अपना प्रशिक्षण किया था, तब से बहुत सुधार हुए हैं। उन्हें प्रशिक्षण का पूरा दायरा मिला है और अब वे प्रक्षेपण के लिए तैयार हैं।
इस महत्वाकांक्षी अभियान के तहत भारत जल्द ही ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला है। भारत के शुभांशु शुक्ल अब अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनने वाले हैं। इतना ही नहीं, वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में पहुंचने वाले पहले भारतीय होंगे। इस मिशन को अमेरिका के अंतरिक्ष अभियानों से जुड़ी कंपनी एग्जियोम स्पेस और नासा के सहयोग से अंजाम दिया जा रहा है। साथ ही एलन मस्क की स्पेसएक्स इस मिशन में अहम भूमिका निभाएगी।
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