AES/चमकी बुखार से बचाव और रोकथाम को लेकर डीएम ने अधिकारियों के साथ की बैठक, दिए कई निर्देश

मुजफ्फरपुर (आरएनआई) जिले में एईएस की रोकथाम एवं बचाव हेतु जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने सभी अधिकारियों को पूर्व माह की भांति जून माह में भी एलर्ट मोड में रहने तथा पूरी सतर्कता एवं सावधानी के साथ सक्रिय एवं तत्पर होकर कार्य करने का निर्देश दिया। जून माह में गर्मी चरम पर है तथा जून माह में 9 तारीख तक एईएस संबंधी एक भी केस नहीं आया है। जबकि 2024 में जून महीना में 12 केस, 2023 में 14 मामले, 2022 में 8 मामले, 2021 में 4 मामले, 2020 में 5 मामले तथा 2019 में 407 मामले आए हैं। जिलाधिकारी ने आईसीडीएस, जीविका एवं स्वास्थ्य विभाग को आपसी सामंजस्य एवं संतुलन बनाकर गृह भ्रमण कर 0 से 15 आयु वर्ग के बच्चों विशेषकर सर्दी, खांसी, बीमार ग्रस्त बच्चों की निगरानी करने तथा लक्षण दिखते ही तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया। इसके लिए डीपीओ आईसीडीएस को हर पोषक क्षेत्र के ऐसे बच्चों की लाइन लिस्टिंग करने तथा सतत एवं प्रभावी निगरानी करने को कहा। डीपीओ आईसीडीएस को सीडीपीओ एवं सेविका सहायिका के साथ बैठक करने तथा सिविल सर्जन को हरेक पीएससी सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के साथ बैठक कर आवश्यक संसाधन तथा टीम वर्क की गहन समीक्षा करने को कहा। साथ ही प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को अपने स्तर से बीसीएम एवं आशा के साथ बैठक कर कार्य में तेजी तथा जवाबदेही लाने का निर्देश दिया।
मुजफ्फरपुर जिला में अब तक 23 मामले प्रतिवेदित हैं। जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को प्रेरित / एक्टिव करते हुए कहा कि एक भी डेथ केस न हो तथा मामले भी कम आएं।
जेई टीकाकरण की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि प्रखंडवार ड्यू लिस्ट के अनुरूप 100% बच्चों का टीकाकरण करना सुनिश्चित करें। एक भी बच्चा छूटे नहीं। समीक्षा के दौरान पाया गया कि प्रथम चरण में 93% तथा द्वितीय चरण में 91% का टीकाकरण किया गया है। उन्होंने वोचहा, मोतीपुर, मरवन, औराई के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को एक्टिव होकर कार्य करने तथा शत प्रतिशत उपलब्धि हासिल करने का निर्देश दिया।
बैठक में एईएस के लक्षण , सावधानी, जागरूकता एवं चमकी की तीन धमकी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। एईएस के लक्षण, सावधानी के तहत चमकी की तीन धमकी तथा लक्षण प्रतीत होते ही त्वरित रूप से अस्पताल पहुंचने की सलाह दी।
लक्षण
-चमकी के साथ तेज बुखार
-सरदर्द
-अर्द्ध या पूर्ण बेहोशी
-शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
इन लक्षणों की चर्चा करते हुए सिविल सर्जन ने चमकी की तीन धमकी (खिलाओ, जगाओ, अस्पताल ले जाओ ) का पालन करने को कहा।
खिलायें- बच्चों को रात में सोने से पहले भर पेट भोजन जरूर करायें। यदि संभव हो तो कुछ मीठा भी खिलाएं।
जगायें - रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं।
अस्पताल ले जाएं- बेहोशी या चमकी दिखते ही तुरंत नि:शुल्क एंबुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जायें।
सामान्य उपचार एवं सावधानी
तेज धूप में जाने से बचें।
दिन में दो बार नहायें।
रात में पूरा भोजन करके सुलायें।
लक्षण दिखते ही ओआरएस का घोल या चीनी और नमक का घोल पिलायें।
क्या करें
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजा पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें।
पारासिटामोल की गोली/ सिरप मरीज को चिकित्सीय सलाह पर दें।
यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलायें।
बेहोशी /मिर्गी की अवस्था में बच्चों को छायादार एवं हवादार स्थान पर लिटाएं।
चमकी आने पर मरीज को बायें या दायें करवट लिटाकर ले जाएं।
बच्चे को शरीर से कपड़े हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें।
अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछें जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।
तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढँकें।
क्या ना करें
बच्चे को कंबल या गर्म कपड़ों में ना लपेटें।
बच्चे की नाक बंद नहीं करें।
बेहोशी/ मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी न दें।
बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें।
चूँकि यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है। अतः बच्चे के इलाज में ओझा गुणी में समय नष्ट न करें।
मरीज के बिस्तर पर ना बैठे तथा मरीज को बिना वजह तंग न करें।
ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर न हो और शांत वातावरण बनाये रखें।
पूर्ण टीकाकरण की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा जिला में अब तक 92% टीकाकरण किए गए हैं। साथ ही खसरा का 92% रूबेला में भी 92% टीकाकरण की उपलब्धि है। जिलाधिकारी ने शत प्रतिशत उपलब्धि हासिल करने का निर्देश दिया। इसके लिए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को प्रत्येक प्रखंड का विजिट करने, वर्क प्लान बनाने, टीम को एक्टिवेट करने तथा कार्य रूप देने का निर्देश दिया। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को टीबी, पोषण पुनर्वास केंद्र, ओपीडी, आईपीडी, लैब टेस्ट, एनीमिया मुक्त भारत, एक्स-रे, संस्थागत प्रसव, बीपी शुगर की जांच, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मैं व्यवस्था आदि की समीक्षा की गई तथा आवश्यक निर्देश दिया गया।
आईसीडीएस की समीक्षा के दौरान पाया गया कि अप्रैल 2025 में 97% तथा मई 2025 में 99% होम विजिट (पोषण ट्रैकर) के माध्यम से की गई है। शून्य से 6 वर्ष के 97%बच्चों का मई महीना में मापी किया गया है।
परवरिश योजना के तहत अप्रैल महीना में 34 और मई महीना में भी 34 आवेदन प्राप्त हुए हैं। पोषण पुनर्वास केंद्र में मार्च महीना में 42 अप्रैल महीना में 55 तथा में महीना में 37 बच्चों का इलाज किया गया है।
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