'1991 का समझौता शांतिकाल के लिए था...', निशिकांत दुबे के आरोपों पर कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी ने विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर से सवाल किया था कि क्या भारत ने पाकिस्तान को हमले के बारे में सूचना दी थी। यह साफ दर्शाता है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का ट्वीट इस बात का सबूत है कि राहुल गांधी जो बोल रहे हैं, वह सच है।

नई दिल्ली (आरएनआई) भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि निशिकांत दुबे जिस 1991 के समझौते की बात कर रहे हैं, वह शांतिकाल के लिए था, लेकिन जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को हमले की सूचना दी, उस वक्त संघर्ष के हालात थे। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बारे में पाकिस्तान को पहले ही जानकारी दी थी। इस पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि विदेश मंत्री ने 1991 के समझौते के तहत पाकिस्तान को सूचना दी और वह समझौता कांग्रेस सरकार में हुआ था।
अब कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 'पहली बात, निशिकांत दुबे बार-बार अपनी बेवकूफी का प्रदर्शन कर रहे हैं। पूर्व पीएम राजीव गांधी ने 6 मार्च 1991 को चंद्रशेखर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, जबकि 1991 का समझौता अप्रैल 1991 में हुआ था। साथ ही यह समझौता शांतिकाल के लिए था, जिसका मकसद ये सुनिश्चित करना था कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच शांतिकाल के दौरान कोई असमंजस की स्थिति न रहे। अब हम पर आतंकी हमला हुआ था और हमने उसका आक्रामकता से जवाब दिया था। पहली बात कि भाजपा और निशिकांत दुबे ये स्वीकार कर रहे हैं कि विदेश मंत्री जयशंकर ने सूचना दी और जो राहुल गांधी कह रहे हैं, वह सच है। दूसरा समझौता शांतिकाल के लिए था, लेकिन जब जयशंकर ने सूचना दी, उस वक्त युद्ध जैसे हालात थे।'
एक अन्य कांग्रेस नेता मधु गौड़ यसखी ने कहा है कि 'राहुल गांधी ने विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर से सवाल किया था कि क्या भारत ने पाकिस्तान को हमले के बारे में सूचना दी थी। यह साफ दर्शाता है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का ट्वीट इस बात का सबूत है कि राहुल गांधी जो बोल रहे हैं, वह सच है। यह भारत सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है कि हमने पाकिस्तान को बताया कि हम कहां हमला करने जा रहे हैं।'
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 'कांग्रेस ने पाकिस्तान को छूट दी, चाहे वो 1950 का नेहरू-लियाकत समझौता हो, 1960 का सिंधु जल समझौता या 1975 का शिमला समझौता। हम संसद में भी रक्षा की रणनीति पर चर्चा नहीं करते। लेकिन 1991 में जब आप (कांग्रेस) चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दे रहे थे और 1994 में जब पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी, तब इसे (समझौते को) लागू किया गया और आपने लिखा कि सेना, नौसेना कहां तैनात होगी और वायु सेना कैसे काम करेगी। ये सारी बातें क्या देशद्रोह नहीं है? कांग्रेस ने क्या वोटबैंक की राजनीति के लिए धोखा नहीं किया? मुझे लगता है कि भारत सरकार को इसके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए। इस देश के बाहर के तत्वों से तो लड़ाई जारी है, लेकिन देश के भीतर के ऐसे तत्वों पर भी कार्रवाई करने का समय आ गया है।'
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