बिंदकी बाईपास की सौगात, फिर भी बस्ती में दिख रही रफ्तार, डेढ़ दशक बाद मिले ड्रीम प्रोजेक्ट के वजूद को लग रहा अनदेखी का झटका

फतेहपुर (आरएनआई) बिंदकी बाईपास चालू हो जाने के बाद भी व्यावसायिक नगरी की अंदरूनी यातायात व्यवस्था पर बहुत फर्क नहीं पड़ा है। अभी भी बड़ी संख्या में बाईपास के बजाए सीधे बस्ती से वाहन फर्राटा भरते देखे जा रहे है। ऐसा इसलिए दिख रहा है क्योंकि इस तरफ सख्ती नहीं बरती जा रही है। ओवरलोड वाहनों के एक दूसरे को ओवरटेक करने से दुपहिया का सफर खतरनाक साबित हो रहा है।
तत्कालीन माया सरकार में बिंदकी बाईपास बनाने की हरी झंडी मिली थी। जिस पर उस वक्त सवा आठ करोड़ पास हुए। इस कार्य योजना को पूरा करने को लोक निर्माण विभाग ने 127 किसानों की जमीन अधिग्रहित कर पांच किलो मीटर के प्रोजेक्ट आई अड़चनों के बाद पूरा कर लिया। जिस पर डेढ़ दशक का लंबा वक्त लग गया। अब जबकि यह इंतजार पूरा हो चुका है तो इसे अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी को शिद्दत से पूरा नहीं किया जा रहा है। कहने को तो बिन्दकी बाईपास चालू हो गया है लेकिन बड़े वाहनों की बस्ती के अंदर से आवाजाही पर बहुत फर्क देखने को नहीं मिल रहा है। पुरानी बिंदकी से लेकर बाराती नगर के बीच इन वाहन की आगे बढ़ने की खतरनाक दौड़ देखने को मिल रही है। खासकर, देखने वाली बात यह है कि मौरंग, गिट्टी, मवेशी वाहन तो बिना किसी डर दहशत के फर्राटा भरते नजर आ रहे है। इन ओवरलोड वाहनों को आंबेडकर चौराहे पर 24 घंटे तैनात रहने वाली पुलिस, क्यों नहीं देख पा रही है। यह अपने आप में किसी बड़े सवाल से कम नहीं है।
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शुरुआत में ही ढिलाई, कैसे सुधरे अंदरूनी यातायात
फतेहपुर। पिछले महीने चालू हुए बिंदकी बाईपास में बड़े वाहनों का अभी तक पूरी तरह से न चलना प्रशासनिक अनदेखी की तरफ भी इशारा कर रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जहां से बाईपास शुरू होता है और जिस जगह पर खत्म होता है वहां पर भी बड़े वाहनों के बस्ती के अंदर दाखिल होने से रोकने का कोई इंतजाम नजर नहीं आ रहे हैं। जिससे बाईपास बना और ना बना एक जैसा ही मौजूदा वक्त नजर आ रहा है।
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