यूपी: ज्यादा ड्रॉपआउट रेट वाले शिक्षण संस्थानों की जांच के आदेश, छात्रवृत्ति लेकर विद्यार्थियों ने पढ़ाई बीच में
जांच के लिए पहले चरण में 60 कॉलज चिह्नित किए गए हैं। संबंधित जिलाधिकारियों से जल्द समाज कल्याण निदेशालय को रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। मामले में विद्यार्थियों के फर्जी होने की प्रबल आशंका है।

लखनऊ (आरएनआई) समाज कल्याण विभाग ने उन संस्थानों की जांच कराने के आदेश दिए हैं, जहां ड्रॉपआउट रेट ज्यादा है। इन संस्थानों में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने पहले साल छात्रवृत्ति लेकर अगले साल उसी पाठ्यक्रम में दाखिला ही नहीं लिया। ऐसे में इन विद्यार्थियों के फर्जी होने की प्रबल आशंका है। पहले चरण में प्रदेश में इस तरह के 60 शिक्षण संस्थान चिह्नित किए गए हैं।
प्रदेश सरकार ढाई लाख रुपये तक सालाना आय वाले एससी-एसटी छात्र और दो लाख रुपये तक सालाना आय वाले अन्य वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क भरपाई करती है। देखने में आया है कि तमाम कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें चल रहे पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों ने पहले साल तो दाखिला लिया, पर दूसरे या तीसरे वर्ष में छात्रवृत्ति के पोर्टल पर अपना डाटा अपडेट ही नहीं कराया। यानी, दूसरे या तीसरे वर्ष में छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई के लिए उन्होंने ऑनलाइन आवेदन ही नहीं किया।
सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट रेट वाले 60 कॉलेज चिह्नित करके जांच शुरू कर दी गई है। संबंधित जिलाधिकारियों से कहा गया है कि वे जल्द जांच करवाकर अपनी रिपोर्ट समाज कल्याण निदेशालय को भेजें। जांच टीम मौके पर जाकर विद्यार्थियों से बात करेगी, संस्थान में जमा उनके दस्तावेज चेक करेगी। ड्रॉपआउट के सही कारण न मिलने या कोई अनियमितता मिलने पर उसकी रिपोर्ट देगी। यहां बता दें कि इस योजना में हर साल 50 लाख से ज्यादा छात्रों को भुगतान होता है।
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