विद्युत निजीकरण के विरोध में कर्मियों के साथ आए किसान संगठन

फतेहपुर (आरएनआई) विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने हाइडिल कॉलोनी में बैठक कर आगे के आंदोलन को सफल बनाने हेतु रणनीति तैयार की। समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के नाम पर विगत छह माह से हो रहे अनियमितताओं और घोटालों का खुलासा होने के बाद ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को चुप्पी तोड़नी चाहिए और निजी कंपनी के साथ मिलीभगत कर घोटाला करने वाले निदेशक वित्त निधि नारंग पर तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए।
संघर्ष समिति ने कहा कि सारा घोटाला पावर कारपोरेशन के चेयरमैन की नाक के नीचे हो रहा है। घोटाला करने वाले निदेशक वित्त निधि नारंग पर कार्यवाही करने के बजाय पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन अभियंताओं और कर्मचारियों का दमन करने में लगे जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त है। बताया कि सोलह किसान संगठनों ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आगामी चार जून को समस्त जनपदों में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा के साथ एक मंच पर आए किसान संगठनों की मुख्य मांग है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाए, बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी तथा स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव वापस लिया जाए, तीन सौ यूनिट तक किसानों को मुफ्त बिजली दी जाए। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण का विरोध कर रहे बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं का उत्पीड़न किया गया तो किसान संगठन उनके साथ खड़े होंगे और ऐसी किसी भी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही का जोरदार विरोध किया जाएगा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि विगत छह माह से निजीकरण के विरोध में चल रहे शांतिपूर्ण ध्यानाकर्षण आंदोलन से बौखलाए प्रबंधन और पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने निजीकरण के उतावलेपन में कर्मचारियों और अभियंताओं पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाही प्रारंभ कर दी है जिससे बिजली कर्मियों में बहुत गुस्सा है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों और अभियंताओं का उत्पीड़न की दृष्टि से ट्रांसफर किया जा रहा है उनका वेतन काटा जा रहा है, उन्हें चेतावनी दी जा रही है कि कर्मचारी सेवा विनियमावली में आलोकतांत्रिक संशोधन किया गया है जिससे कार्य का वातावरण में बिगड़ रहा है और ऊर्जा निगमों में अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति फैल रही है।
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