भूमाफियाओं पर होती हैं कार्यवाही तो स्थानांतरण करा देते हैं माफिया, जिससे कार्यवाही रुकती हैं, राजनीतिक लोग उन्हें ताज्जवो नहीं दे, क्योंकि सिंधिया जी ने सभी भूमाफियाओं को जिले से बाहर करने दिए हैं निर्देश!

गुना (आरएनआई) लोकप्रिय सासंद,केंद्रीय मंत्री और क्षेत्र के नागरिक हितों के सजग प्रहरी श्रीमंतज्योतिरादित्य सिंधिया के ऑफिस अकाउंट से यह वीडियो चुनाव के दौरान एक पोस्ट हुआ था। जिसमें क्षेत्र के निवासियों की पीड़ा और आवश्यकता को देखते हुए विभिन्न माफिया को क्षेत्र से बाहर करने की बात कही गई थी।
श्रीमंत, राष्ट्रीय स्तर के लोकप्रिय नेता हैं और इस क्षेत्र के मुखिया भी हैं। विकास व क्षेत्र की उन्नति के लिए समर्पित हैं। उन्होंने माफिया मुक्त क्षेत्र के संकल्प को सिद्धि की जवाबदेही स्थानीय पुलिस प्रशासन के अधिकारीयों को सौंपी। शुरुआत में इसका सु:खद परिणाम भी देखने मिला, लेकिन फिर यह कार्यवाही, जो निरंतर जारी रहना थी, वह औपचारिक होकर रह गई। शीर्ष अफसरों के जल्दी जल्दी ट्रांसफर होने से इस अभियान को भी झटका लगा।
इस दौरान विभिन्न माफिया ने अपने अपने बचाव के ठिकाने पकड़ लिए। क्षेत्र के लिए इसका दुष्परिणाम ये है कि विगत एक डेढ़ साल में अपराधी इतने ताकतवर हो गए हैं कि वो गैंगवॉर करने से भी नहीं चूक रहे। राशन माफिया, भू माफिया, जुआ माफिया, ऑन लाइन सट्टा माफिया से लेकर देह व्यापार कराने तक के अड्डे पनप गए हैं। माफिया के लीडिंग फेस बचाव के लिए किसी न किसी की शरण में पहुंच कर कार्यवाही से बचना सीख गए हैं।
यदि श्रीमंत, जिले के जिम्मेदार अफसरों से माफिया और अपराधियों के डोजियर तैयार करवा कर उनके संरक्षण दाताओं की जानकारी भी मंगा लें तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। माफिया मुक्त समाज के लिए एक सर्जिकल स्ट्राइक अपराधियों के संरक्षकों पर करना भी जरूरी होगा, ताकि सभ्य समाज में बढ़ते अपराधों पर प्रभावी अंकुश लग सके।
हर तीन महीने में एक बैठक माफिया के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाहियों की समीक्षा के निमित्त ही होना चाहिए। जिसमें एक महत्वपूर्ण बिंदु जरूर जोड़ना चाहिए कि अक्सर पुलिस प्रशासन द्वारा अपराधियों या माफिया के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाहियां कोर्ट में औंधे मुंह क्यों गिर जाती हैं, इसके लिए शासन को जिताने के लिए तैनात जीपी कार्यालय और डीपीओ कार्यालय को भी शामिल किया जाना चाहिए।
एक कहावत है कि
घोड़ा अड़ा क्यों?
पान सड़ा क्यों?
रोटी जली क्यों?
क्योंकि फेरी नहीं गई।
यानी चीजों को देखना परखना, पलटना जरूरी है।
यदि माफिया मुक्त क्षेत्र के संकल्प को सिद्धि प्रदान करना है तो इसके विरुद्ध अभियान चलाकर उसकी त्रैमासिक समीक्षा की जरूरत महसूस की जा रही है। पूछताछ, समीक्षा, निगरानी और सतत् कार्यवाही के बिना सकारात्मक परिणाम और क्षेत्र में शांति बनी रहना मुश्किल है।
विदित हो कि बीते दिवस जिले के प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने एक बैठक में यह बात कही थी कि श्री सिंधिया जी ने कहा था कि जिले में कोई भी भूमाफिया को नहीं रहने देंगे,तत्समय प्रभावी कार्यवाही भी हुईं। लेकिन कलेक्टर ओर एस पी के ट्रांसफर के वाद कार्यवाही रुक गई, जब कार्यवाही की जाती हैं कोई न कोई माफिया स्थानांतरण करा देता हैं। जिससे योजना हतोतसहित होती हैं, राजनीतिक लोगो को ध्यान देना चाहिए कि वे उन्हें तज़्जवो न दे?
वहीं जनता का मत हैं मंत्री जी अब गलत काम इस राजनीतिक कृत्य के लोगो द्वारा ही हितबद्ध किया जाता हैं,वो भी निज स्वार्थ के लिए??
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