केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण मुआवजे के रूप में वसूले 45 करोड़, खर्च किए सिर्फ नौ लाख
आरटीआई के तहत दी गई जानकारी से पता चलता है कि 2018 से लेकर 2023 तक सीपीसीबी ने कितना पैसा खर्च किया इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। उसके पास सिर्फ 2024-25 में खर्च किए गए 9 लाख का रिकॉर्ड है।

नई दिल्ली (आरएनआई) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 2018 से 2024 के बीच पर्यावरण मुआवजे के रूप में वसूले गए 45.81 करोड़ में से सिर्फ 0.2 फीसदी ही पर्यावरण को बचाने पर खर्च किया है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई जानकारी से यह खुलासा हुआ। सीपीसीबी ने दंड और जुर्माने के रूप में इतनी बड़ी राशि वसूली लेकिन इसी अवधि में इस पैसे में से पर्यावरण संरक्षण के नाम पर सिर्फ 9 लाख खर्च किए।
आरटीआई के तहत दी गई जानकारी से पता चलता है कि 2018 से लेकर 2023 तक सीपीसीबी ने कितना पैसा खर्च किया इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। उसके पास सिर्फ 2024-25 में खर्च किए गए 9 लाख का रिकॉर्ड है। सीपीसीबी को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की ओर से वसूले गए पर्यावरण मुआवजे का 25 फीसदी हिस्सा मिलता है और वह खुद भी प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना लगाता है। इस पूरे पैसे का इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना होता है जिसमें प्रयोगशालाओं को समृद्ध बनाना, निगरानी तंत्र मजबूत करना, जरूरी अध्ययन करना व समितियों का खर्च उठाना शामिल है। इसी अवधि में पर्यावरण संरक्षण चार्ज (ईपीसी) के रूप में वसूल किए 427.37 करोड़ रुपयों में से उसने सिर्फ 130.9 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
इसी वर्ष मार्च में एक संसदीय समिति ने यह तथ्य रेखांकित किया था कि पर्यावरण मंत्रालय को 2024-25 में पर्यावरण नियंत्रण योजना के लिए आवंटित किए गए 858 करोड़ रुपयों में से 21 जनवरी तक सिर्फ 7.22 करोड़ खर्च किए गए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन से संबंधित स्थायी समिति ने इस पर आश्चर्य जताते हुए समीक्षा के लिए कहा था।
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