'भारत-पाकिस्तान टकराव में चीन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता', अमेरिका में बोले थरूर
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बृहस्पतिवार को अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में थिंक टैंक के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव में चीन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। चीन का पाकिस्तान में बहुत बड़ा हित है।

वाशिंगटन (आरएनआई) कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव में चीन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार हुआ था, लेकिन पाकिस्तान के साथ टकराव के बाद दोनों देशों के संबंधों में प्रगति रुक गई है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर इन दिनों अमेरिका में हैं। वहां वह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। बृहस्पतिवार को उन्होंने भारतीय दूतावास में थिंक टैंक के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में चीन का बहुत बड़ा हित है। उन्होंने कहा कि चीन की बेल्ट एंड रोड योजना का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा इसका एक उदाहरण है।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि 81 फीसदी पाकिस्तानी रक्षा उपकरण चीन से आते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 'रक्षा' शब्द यहां गलत हो सकता है, क्योंकि इन हथियारों का इस्तेमाल कई बार आक्रमण के लिए होता है। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के साथ हमारे टकराव में चीन एक ऐसा कारक है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।'
कांग्रेस नेता थरूर ने जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन झड़पों के बाद भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ गया था। हालांकि, पिछले साल सितंबर में चीन के साथ रिश्तों में फिर से सुधार होना शुरू हो गया था, जो अच्छी प्रगति पर थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लिए व्यावहारिक समर्थन के मामले में, यहां तक कि सुरक्षा परिषद में भी, 'हमने एक बहुत अलग चीन देखा।'
शशि थरूर ने कहा कि हमारे पड़ोस में क्या चुनौतियां हैं, इस बारे में हमें कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी भारत ने अपने विरोधियों के साथ हमेशा संवाद और बातचीत का रास्ता चुना है। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा विकास, व्यापार और आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देने की कोशिश की है। चीन के साथ भारत का व्यापार आज भी रिकॉर्ड स्तर पर है। इसका मतलब ये नहीं कि भारत कोई दुश्मनी का रवैया अपनाए हुए है, लेकिन अगर हम चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रिश्तों को नजरअंदाज करें, तो यह नासमझी होगी।
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