बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहेंगे मोहम्मद यूनुस, कैबिनेट बैठक के बाद इस्तीफे पर 'यूटर्न'
बांग्लादेश पिछले एक साल से हिंसा और राजनीतिक उठापटक से जूझ रहा है। इसी बीच खबर आई थी कि देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं आज हुई औचक बैठक के बाद ये साफ कर दिया गया है कि वो इस पद पर बने रहेंगे। अब सभी की नजर इस बात पर है कि आने वाले दिनों में चुनाव की तारीख और राजनीतिक सुधारों को लेकर सरकार क्या फैसला लेती है।

ढाका (आरएनआई) बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे। यह जानकारी शनिवार को उनके कैबिनेट के एक वरिष्ठ सलाहकार वाहीदुद्दीन महमूद ने दी। यह बयान ऐसे समय आया है जब यूनुस के इस्तीफे की अटकलें दो दिन पहले सामने आई थीं। यूनुस ने कथित तौर पर कहा था कि 'मौजूदा हालात में काम करना मुश्किल हो गया है'। बता दें कि, सरकार, सेना और तमाम राजनीतिक दलों के बीच उपजे मतभेद के कारण उनके इस्तीफा देने की आशंका तेज हो गई थी।
अंतरिम सरकार में योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने सलाहकार परिषद की एक औचक बैठक के बाद पत्रकारों से कहा 'उन्होंने (यूनुस) यह नहीं कहा कि वे पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि हमें सौंपे गए काम और जिम्मेदारियों को पूरा करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन हम उन पर काबू पा रहे हैं'। वहीदुद्दीन महमूद ने आगे कहा- 'वे निश्चित रूप से बने रहेंगे।' उन्होंने कहा कि कोई भी सलाहकार कहीं नहीं जा रहा है क्योंकि 'हमें सौंपी गई जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है; हम इस कर्तव्य को नहीं छोड़ सकते'।
मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार को छात्र नेतृत्व वाले नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के नेताओं से बात करते हुए संकेत दिया था कि वे इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि राजनीतिक दलों के बीच सहमति की कमी के चलते उन्हें काम करने में कठिनाई हो रही है। इसके बाद गुरुवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में भी उन्होंने इसी प्रकार की भावना जाहिर की थी। हालांकि, बैठक में मौजूद उनके सलाहकारों ने उन्हें इस्तीफा न देने के लिए मनाया।
शनिवार को ढाका के शेर-ए-बांग्ला नगर में हुई कार्यकारी आर्थिक परिषद (ईसीएनईसी) की बैठक के बाद अचानक एक बंद कमरे की बैठक बुलाई गई, जिसमें 19 सलाहकारों ने हिस्सा लिया। इसमें यूनुस के चुनावी सुधारों, जुलाई घोषणा पत्र और आगामी चुनावों पर चर्चा हुई। वहीं एक सलाहकार सैयदा रिजवाना हसन ने बताया, 'सरकार सिर्फ चुनाव कराने के लिए नहीं बनी है। हमारा उद्देश्य सुधार और न्याय सुनिश्चित करना भी है।' वहीं एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने कहा, 'हमने यूनुस साहब से अपील की है कि वे देश की सुरक्षा, भविष्य और जनता की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए मजबूत बने रहें।'
मोहम्मद यूनुस ने आज शाम बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से मिलने का कार्यक्रम रखा है। बीएनपी के वरिष्ठ नेता अब्दुल मोईन खान और सालाहुद्दीन अहमद ने कहा है कि वे चाहते हैं यूनुस सम्मानपूर्वक चुनाव कराकर पद छोड़ें, न कि अचानक इस्तीफा दें। वहीं जमात के नेता सैयद अब्दुल्ला एम ताहेर ने कहा, 'जनता का विश्वास बहाल करने के लिए निष्पक्ष चुनाव ही एकमात्र रास्ता है।' उन्होंने यह भी मांग की कि दिसंबर से जून के बीच चुनाव और राजनीतिक सुधारों का एक स्पष्ट रोडमैप घोषित किया जाए।
बांग्लादेश में सेना और अंतरिम सरकार के बीच भी तनाव खासकर दो मुद्दों पर है – पहला चुनाव की समयसीमा – सेना चाहती है कि चुनाव दिसंबर तक हो जाएं। दूसरा म्यांमार के रखाइन राज्य में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर – सेना को इस मुद्दे पर भी आपत्ति है। इससे तीन दिन पहले सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने नौसेना और वायुसेना प्रमुखों के साथ मिलकर यूनुस से मुलाकात की और चुनाव की समयसीमा तय करने की बात दोहराई। अगली सुबह सेना प्रमुख ने एक बैठक में कहा कि कई अहम फैसलों की जानकारी उन्हें नहीं दी गई, जिससे यह संकेत मिला कि सेना अपनी स्थिति मजबूत कर रही है।
सुरक्षा बनाए रखने के लिए सेना को विशेष मजिस्ट्रेटी शक्तियों के साथ तैनात किया गया है। सैनिकों ने सड़कों पर गश्त और निगरानी बढ़ा दी है। पिछले साल के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सेना ने कार्रवाई करने से परहेज किया था और शेख हसीना को भारत भेजने में मदद की थी। बाद में सेना ने ही यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनने का समर्थन किया था।
देश की राजनीति इस समय अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार को सत्ता से हटाए जाने के बाद से हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। विरोधी पार्टियों, छात्र संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने पिछले कुछ दिनों में ढाका की सड़कों पर प्रदर्शन तेज कर दिया है। यूनुस की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को भंग कर दिया है और उसके कई वरिष्ठ नेताओं को जेल भेज दिया है। इधर बीएनपी की मांग है कि जल्द से जल्द चुनाव की तारीख घोषित की जाए। पार्टी ने इस सप्ताह बड़े प्रदर्शन भी किए हैं। साथ ही, उन्होंने कैबिनेट से छात्र प्रतिनिधियों को हटाने की मांग की है, जबकि एनसीपी ने दो सलाहकारों को हटाने की बात कही है, जिन पर बीएनपी के हित में काम करने का आरोप है।
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