फर्जी वर्दी, झूठे सपने: मैनपुरी में सेना भर्ती के नाम पर 18 करोड़ की ठगी का खुलासा

मैनपुरी के किशनी में सेना की तर्ज पर चल रहे एक फर्जी भर्ती केंद्र का खुलासा हुआ है। चार साल में करीब 600 युवाओं से 18 करोड़ की ठगी करने वाले मास्टरमाइंड अरविंद पांडेय को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

Jun 5, 2025 - 13:11
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मैनपुरी (आरएनआई) उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सेना भर्ती के नाम पर युवाओं से 18 करोड़ रुपये की ठगी की गई। किशनी क्षेत्र के जटपुरा चौराहे पर सेना जैसा दिखने वाला एक नकली ट्रेनिंग कैंप चलाया जा रहा था, जिसे देखकर कोई भी धोखा खा सकता था। यहां सेना की वर्दी, झंडे, शूटिंग टारगेट और बड़े-बड़े टायर लगे हुए थे, लेकिन हकीकत में यह एक संगठित ठग गिरोह का अड्डा था। मास्टरमाइंड अरविंद पांडेय और उसकी सहयोगी सुमित्रा सेनापति ने चार साल में करीब 600 युवाओं को फर्जी प्रशिक्षण और झूठे जॉब ऑफर देकर ठगा। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके पास से बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज, आईडी कार्ड, नकली हथियार और यूनिफॉर्म बरामद की गई है।

यूपी के जिला मैनपुरी में भारतीय पुलिस प्रोटेक्शन फोर्स (BPPF) नाम से चल रहा फर्जी सैन्य भर्ती केंद्र पकड़ा। सरगना अरविंद पांडे, असिस्टेंट सुमित्रा सेनापति गिरफ्तार। 

मैनपुरी किशनी के जटपुरा चौराहे के पास 30 बीघा जमीन पर बनाया गया नकली सैन्य प्रशिक्षण केंद्र पूरी तरह से सेना की तर्ज पर सजा हुआ था। यहां मौजूद बड़े टायर, ऊंचे पोल, रस्सियां, शूटिंग टारगेट और सेना के बटालियन झंडे युवाओं को विश्वास दिलाने के लिए थे। सेंटर के नाम भी भ्रमित करने वाले थे—‘भारतीय पुलिस प्रोटेक्शन फोर्स (BPPF)’ और ‘हिंदुस्तान रक्षा धर्म’। युवाओं से 2 से 4 लाख रुपये लेकर उन्हें तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाती, पर अंत में न तो कोई सरकारी नौकरी मिलती और न ही पैसा वापस होता।

तेलंगाना के अशोक नामक युवक ने यूट्यूब पर भर्ती से जुड़ा वीडियो देखकर सेंटर से संपर्क किया और अपने छह दोस्तों के साथ मैनपुरी भेजा। सभी से लाखों की फीस वसूली गई, लेकिन कोई नौकरी नहीं मिली। स्थानीय निवासी अनिरुद्ध दूबे ने भी अपने भांजे के लिए लाखों की रकम दी, पर वह भी ठगा गया। शिकायतें बढ़ने पर 3 जून 2025 को मैनपुरी पुलिस और सर्विलांस टीम ने छापा मारा और मास्टरमाइंड अरविंद पांडेय और उसकी सहयोगी सुमित्रा सेनापति को गिरफ्तार कर लिया।

अरविंद खुद को कभी रिटायर्ड ‘कैप्टन’, तो कभी ‘डॉक्टर’ बताता था। यूट्यूब पर सेना भर्ती के झूठे वीडियो बनाकर वह युवाओं को बहकाता। सेंटर में शारीरिक प्रशिक्षण और निशानेबाजी जैसी गतिविधियां भी कराई जाती थीं, ताकि सब कुछ असली लगे। लेकिन नौकरी के नाम पर या तो सिक्योरिटी गार्ड की पोस्ट मिलती, या कुछ भी नहीं। इससे पहले भी वह ‘हिंदुस्तान दंत मंजन’ नाम की नकली टूथपेस्ट कंपनी, ‘मिस इंडिया प्रतियोगिता’ और खुद का मीडिया चैनल व राजनीतिक पार्टी बनाकर लोगों को ठग चुका था।

पुलिस जांच में पता चला कि यह गिरोह न केवल यूपी, बल्कि तेलंगाना, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा और ओडिशा तक फैला था। प्रारंभिक जांच में 300 से अधिक पीड़ितों की पहचान हो चुकी है। आर्मी इंटेलिजेंस की टीम ने भी मैनपुरी पहुंचकर सात घंटे तक अरविंद और सुमित्रा से पूछताछ की है। पुलिस अन्य राज्यों में भी छापेमारी कर रही है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

हैरानी की बात यह है कि अरविंद पांडेय हाई स्कूल तक भी पढ़ा नहीं है। उसकी मां मंदिर में मामूली नौकरी करती हैं। फिर भी सोशल मीडिया और झूठी वर्दी की ताकत से वह देशभर के युवाओं को चकमा देने में कामयाब रहा। अब जब यह बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हो गया है, तो यह देशभर के युवाओं और उनके परिवारों के लिए बड़ा सबक है—किसी भी भर्ती या संस्थान पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, जांच-परख करना जरूरी है।

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