बिजली निजीकरण के विरोध में 22 जून को होगी महापंचायत, किसान और उपभोक्ताओं के संगठन होंगे शामिल

यूपी में बिजली निजीकरण के विरोध में राजधानी लखनऊ में 22 जून को महापंचायत होगी। इसमें किसान और उपभोक्ताओं के संगठन भी शामिल होंगे। 

Jun 8, 2025 - 10:54
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बिजली निजीकरण के विरोध में 22 जून को होगी महापंचायत, किसान और उपभोक्ताओं के संगठन होंगे शामिल

लखनऊ (आरएनआई) राजधानी लखनऊ में बैठक के बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने 22 जून को बिजली महापंचायत करने का एलान किया है। इसमें देशभर के किसानों और उपभोक्ताओं के संगठन सम्मिलित होंगे। संघर्ष समिति ने बताया कि बिजली महापंचायत का एलान होते ही कई संगठनों ने  संघर्ष समिति से संपर्क किया है। 

शनिवार को अवकाश का दिन होने के कारण बिजली कर्मचारियों ने सभी जनपदों और लखनऊ कर्मियों के साथ बैठक की। इसमें निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन को और तेज व सशक्त बनाने पर विचार विमर्श किया। इस दौरान लखनऊ में होने वाली महापंचायत की तैयारी पर चर्चा की गई। 

संघर्ष समिति ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से निजीकरण पर पांच प्रश्न पूछे हैं। संघर्ष समिति ने कहा है कि प्रत्येक शनिवार और रविवार को संघर्ष समिति 5-5 प्रश्न निजीकरण को लेकर प्रबंधन से पूछेगी।

पहला प्रश्न यह है कि ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने 06 जून को चंडीगढ़ में हुए विद्युत मंत्रियों के सम्मेलन में कहा कि उत्तर प्रदेश की बिजली वितरण व्यवस्था देश में श्रेष्ठतम है। जब सरकारी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था देश में श्रेष्ठतम हो गई है, तब पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण क्यों किया जा रहा है ?

दूसरा प्रश्न है कि यदि घाटे के नाम पर निजीकरण किया जा रहा है तो चंडीगढ़ और दादरा नगर हवेली दमन एवं दीव जहां एटी एंड सी हानियां क्रमशः तीन प्रतिशत और 8% थी। इन दोनों स्थानों पर विद्युत विभाग मुनाफे में था तो दादरा नगर हवेली दमन एवं दीव और चंडीगढ़ का बिजली का निजीकरण क्यों किया गया ?

तीसरा प्रश्न है कि दिल्ली में निजीकरण के 22 साल बाद भी दिल्ली विद्युत बोर्ड के कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए उपभोक्ताओं के बिजली बिल में निजी कंपनियां 07% की दर से पेंशन का सरचार्ज वसूलती है, तो सवाल है कि निजीकरण के बाद उत्तर प्रदेश में पेंशन देने के एवज में निजी कंपनियां उपभोक्ताओं से कितने प्रतिशत सरचार्ज वसूलेंगी ?

चौथा प्रश्न है कि निजीकरण के बाद बिजली कनेक्शन देने के लिए क्या निजी कंपनियों को उपभोक्ताओं से मनमाना बिल वसूलने का अधिकार मिल जाएगा ? उदाहरण के तौर पर 12 फरवरी 2025 को आगरा में टोरेंट पावर के एक बिल की कॉपी संलग्न की जा रही है, जिसमें 02 किलो वाट का कनेक्शन देने के लिए उपभोक्ता से 09 लाख रुपए वसूल गया है।

उपभोक्ता द्वारा 09 लाख रुपए के भुगतान की रसीद भी संलग्न है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं। जबकि, सरकारी व्यवस्था में सिर्फ 1400 में कनेक्शन मिलता है। क्या निजीकरण के बाद उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल की गरीब जनता के साथ यही होने जा रहा है ?

पांचवा प्रश्न यह है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण होने के बाद गरीब किसानों, बुनकरों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले उपभोक्ताओं को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाएगी या नहीं ? उदाहरण के तौर पर ग्रेटर नोएडा में निजीकरण के 34 साल बाद भी किसानों को सब्सिडी नहीं मिलती, जबकि पूरे प्रदेश में किसानों को मुफ्त बिजली दी जा रही।

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