सुप्रीम कोर्ट ने अंबानी परिवार की सुरक्षा हटाने की याचिका खारिज की, याचिकाकर्ता को दी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश अंबानी और उनके परिवार की सुरक्षा हटाने की मांग करने वाली याचिका को न केवल खारिज किया, बल्कि याचिकाकर्ता को गंभीर चेतावनी भी दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा व्यवस्था तय करना न्यायालय का नहीं, बल्कि सरकार का काम है, जो विशेषज्ञ एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेती है।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके परिवार को दी गई 'जेड प्लस' सुरक्षा हटाने की याचिका को सख्ती से खारिज कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता बिकाश साहा को चेतावनी देते हुए कहा कि बार-बार इसी तरह की निराधार याचिकाएं दायर करना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और भविष्य में ऐसा करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने की। अदालत ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और कोई भी व्यक्ति अदालत की प्रक्रिया को दबाव में नहीं ले सकता।
बिकाश साहा नाम के व्यक्ति ने पहले भी इसी मुद्दे पर दो बार याचिका दायर की थी, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। साहा ने इस बार फिर से एक पुरानी याचिका में 'स्पष्टीकरण' के नाम पर नया आवेदन दायर किया, जिसमें अंबानी परिवार की सुरक्षा हटाने की मांग की गई थी। लेकिन अदालत ने साफ कर दिया कि साहा को इस मामले में कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उनका अंबानी परिवार से कोई संबंध नहीं है।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, 'कोई भी व्यक्ति यह तय नहीं कर सकता कि किसे कितनी सुरक्षा मिलेगी। यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, जो संबंधित सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट पर आधारित होती है।' अदालत ने यह भी कहा कि अगर कल को कुछ घटना घट जाती है, तो क्या याचिकाकर्ता इसकी जिम्मेदारी लेगा?
वहीं अंबानी परिवार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता लगातार इसी तरह की याचिकाएं दायर कर रहा है और यह एक प्रकार से अदालत का समय बर्बाद करना है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस तरह की याचिकाओं पर रोक लगाने के लिए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया जाए। मामले में सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि अंबानी परिवार को सुरक्षा कड़ी जांच और खुफिया रिपोर्टों के आधार पर दी गई है। अदालत ने यह भी कहा कि इस सुरक्षा का खर्च अंबानी परिवार खुद वहन करता है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही फरवरी 2023 के अपने आदेश में यह तय कर चुका है कि अंबानी परिवार को भारत के भीतर ही नहीं, विदेश यात्रा के दौरान भी सुरक्षा दी जाएगी। भारत में उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार और गृह मंत्रालय की होगी, जबकि विदेश में केवल गृह मंत्रालय इसकी जिम्मेदारी निभाएगा।
इस मामले की शुरुआत तब हुई थी जब त्रिपुरा हाई कोर्ट ने जून 2022 में गृह मंत्रालय को आदेश दिया था कि वह अंबानी परिवार की सुरक्षा से जुड़ी सभी फाइलें सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश करे। इस आदेश को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उसी केस में बिकाश साहा ने कई बार याचिका दाखिल की।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता न तो कोई नई जानकारी पेश कर सका और न ही यह दिखा सका कि सुरक्षा स्थिति में कोई बदलाव आया है। अदालत ने कहा, 'यह याचिका न केवल निराधार है बल्कि परेशान करने वाली भी है'। अदालत ने साफ किया कि अंबानी परिवार को 'जेड प्लस' सुरक्षा मिलती रहेगी और भविष्य में अगर याचिकाकर्ता इसी तरह की याचिकाएं दायर करता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
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