कांग्रेस बोली, 'मांग' के सिंदूर को ढाल बनाना चाहती है मोदी सरकार, घर-घर सिंदूर वितरण पर उठाया सवाल

कांग्रेस नेता डॉ. रागिनी नायक ने घर-घर सिंदूर वितरण पर भी सवाल उठाया है। गुरुवार को आयोजित एक प्रेसवार्ता में डॉ. नायक ने कहा,  मोदी सरकार, सस्ती, ओछी और निम्न स्तरीय सियासत के लिए मांग के सिंदूर का इस्तेमाल कर रही है। 

May 29, 2025 - 18:48
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कांग्रेस बोली, 'मांग' के सिंदूर को ढाल बनाना चाहती है मोदी सरकार, घर-घर सिंदूर वितरण पर उठाया सवाल

नई दिल्ली (आरएनआई) 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह 'मांग' के सिंदूर को ढाल बनाना चाहती है। कांग्रेस नेता डॉ. रागिनी नायक ने घर-घर सिंदूर वितरण पर भी सवाल उठाया है। गुरुवार को आयोजित एक प्रेसवार्ता में डॉ. नायक ने कहा, देखिए, सिंदूर प्रतीक है सुहाग का, सम्मान का, सौभाग्य का। सिंदूर प्रतीक है प्रेम के बंधन का, विश्वास के राग का। सिंदूर प्रतीक है सुख-दुख के मेल का, सात जन्मों के साथ का, सिंदूर प्रतीक है बुरी नजर को भस्म करने वाली एक चुटकी आग का। वो सिंदूर जो ब्याहता स्त्री की मांग को सजाता है, जो सुहाग की रक्षा के काम आता है, जो भारत की नारी शक्ति की शान है, आन है और बान है। अब मोदी सरकार उसी सिंदूर का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार, सस्ती, ओछी और निम्न स्तरीय सियासत के लिए मांग के सिंदूर का इस्तेमाल कर रही है। 

कांग्रेस नेता डॉ. रागिनी नायक ने कहा, ये बहुत शर्म की बात है कि अपनी राजनीतिक विफलता, कूटनीतिक विफलता और सामयिक विफलता को छिपाने के लिए अब मोदी सरकार मांग के सिंदूर को ढाल बनाना चाहती है। सेना के पराक्रम का श्रेय, सेना की बहादुरी का श्रेय, सेना की वीरता का श्रेय बटोरने के लिए आखिरकार मोदी सरकार किस हद तक नीचे जाएगी। ट्रेन की टिकट पर ऑपरेशन सिंदूर के साथ मोदी जी की फोटो लग रही है। तमाम बड़े-बड़े होर्डिंग में, पोस्टर में, बैनर, हर पेट्रोल पंप, देश के हर प्रांत, हर जिले, हर नुक्कड़, हर गली, हर मोहल्ले में ऐसे फोटो लगाए जा रहे हैं। ऐसी जगहों पर विंग कमांडर व्योमिका सिंह की फोटो नहीं है, इसमें कर्नल सोफिया कुरैशी की भी तस्वीर नहीं है, इसमें हमारी जल, थल, वायु सेना के चीफ की भी फोटो नहीं है, केवल नरेंद्र मोदी जी की फोटो है। यह सब करके मोदी जी का मन नहीं भरा तो अब कह रहे हैं कि मैं घर-घर जाकर सिंदूर वितरण कार्यक्रम करने वाला हूं। कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार से सिंदूर वितरण कार्यक्रम को लेकर तीन सवाल पूछे हैं। 

पराए आदमियों द्वारा दिया गया यह सरकारी सिंदूर, किसके काम आएगा और किस लिए काम आएगा। क्या भाजपा और आरएसएस यह बात नहीं जानते हैं कि भारत में हिंदू, सनातनी, ब्याहता महिला जो है, उसे बिछिया, मंगलसूत्र और सिंदूर ससुराल से मिलता है। उसके गले में मंगलसूत्र और उसकी मांग में सिंदूर उसका पति सजाता है या फिर सिंदूर मिलता है शक्तिपीठ से, मंदिर से सौभाग्य के आशीर्वाद के रूप में। रागिनी नायक ने कहा, जब आपके कार्यकर्ता डिब्बियों और पैकेट में सिंदूर पहुंचाएंगे तो यह लिख कर रख लीजिए कि जिस डिब्बी में, जिस पैकेट में सिंदूर जाएगा, उसके ऊपर भी मोदी जी की फोटो छपी होगी। अब सिंदूर और वर्दी पर सियासत करके मोदी सरकार अपना चेहरा चमका रही है। 

बतौर डॉ. नायक, मैं यह भी जानना चाहती हूं कि किस मुंह से भाजपा और संघ के नेता, कार्यकर्ता यह सिंदूर बांटेंगे। जब पहलगाम के शहीदों की विधवाओं की सूनी मांग चीख-चीख कर पूछ रही है कि उन दुर्दांत आतंकवादियों को कब पकड़ा जाएगा। उन्हें जमीन निगल गई कि आसमान खा गया। उन विधवाओं को इंसाफ कब मिलेगा। यह देश की महिलाएं आपसे पूछेंगीं, जब आप वह सिंदूर का पैकेट और डिब्बा लेकर जाएंगे। आपसे कहा जाएगा कि उन दरिंदों को क्यों नहीं मौत के घाट उतारा गया, क्यों नहीं मारा गया। उससे महिलाओं को सिंदूर का इंसाफ मिलता। अब आप सिंदूर को बांटने का काम कर रहे हैं। भाजपा के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा, उन्हीं शहीदों की धर्मपत्नियों के लिए कहते हैं कि वे तो वीरांगना ही नहीं हैं। उनमें तो वीरांगनाओं वाला भाव ही नहीं है। वे हाथ जोड़कर रो रही थीं, गिड़गिड़ा रही थीं, कोई जोश, जुनून और जज्बा उनमें नहीं है। 

रागिनी नायक ने कहा, मैं पूछना चाहती हूं, जो ऑपरेशन सिंदूर से थोड़ा इतर है, क्योंकि मुझे लगता है कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का गुणगान पूरा देश कर रहा है, देश का हर नागरिक कर रहा है, हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई-जैन-पारसी, हर संप्रदाय, हर प्रांत, हर जाति, हर भाषा का व्यक्ति कर रहा है। मोदी जी इससे संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि उन्हें सेना का गुणगान नहीं चाहिए, उन्हें अपना गुणगान चाहिए। उनको संतुष्टि तब मिलेगी जब महिमा मंडन उनका हो, सेना का नहीं। इसीलिए यह सारी कवायद चल रही है। मैं ऑपरेशन सिंदूर से इतर भी पूछना चाहती हूं कि वो 200 लोग नोटबंदी के दौरान, जो अपना ही पैसा अपने ही बैंक से निकालते हुए मर गए, उनकी विधवाओं के सिंदूर की गवाही कौन देगा। कोविड के दौरान मरघटों पर जो 24 घंटे लाशें जलती थीं, गंगा जी का पाट जिन लाशों से पट गया, उनकी विधवाओं की उजड़ी मांग की गवाही कौन देगा। वो 700 किसान, जिनकी तीन काले कानून के कारण शहीदी हो गई, उनकी पत्नियां भी बैठी हैं अपनी सूनी मांग लिए हुए। क्या आप उनके घर भी जाएंगे सिंदूर लेकर। मैं जानना चाहती हूं कि 154 किसान और दिहाड़ी के मजदूर, रोज इस देश में आत्महत्या कर रहे हैं। रोज उनकी पत्नियों की जो मांग सूनी हो रही है उसके बारे में तो कोई बात नहीं करेगा। 

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