उमस भरी गर्मी और लू बन रही जानलेवा, वैज्ञानिकों की चेतावनी- जलवायु परिवर्तन से हालात और गंभीर

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों ने चेताया कि उमस और लू का मेल खासकर गरीब और मेहनतकश वर्ग के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। बारिश व नमी इस लू को और खतरनाक बना रही है।

May 26, 2025 - 12:28
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उमस भरी गर्मी और लू बन रही जानलेवा, वैज्ञानिकों की चेतावनी- जलवायु परिवर्तन से हालात और गंभीर

नई दिल्ली (आरएनआई) उमस भरी गर्मी के साथ लू का संयोजन लोगों के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि लगातार बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन के कारण खासतौर पर उष्णकटिबंधीय इलाकों में उमस भरी लू (ह्यूमिड हीटवेव्स) की घटनाएं न केवल बढ़ रही हैं बल्कि अधिक खतरनाक भी होती जा रही हैं। खासकर गरीब, ग्रामीण और मेहनत-मजदूरी करने वाले समुदायों के लिए यह जानलेवा साबित हो रही हैं। यह जानकारी नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में सामने आई है।

शोध में कहा गया है कि उमस भरी गर्मी और लू लोगों के साथ पशुओं के स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा है। हाल में हुई बारिश और मिट्टी में मौजूद नमी,  उमस भरी लू  को और ज्यादा खतरनाक बना रही है। शुष्क लू के बारे में कई शोध हैं, लेकिन अत्यधिक उमस भरी गर्मी के मौसम संबंधी कारणों के बारे में बहुत कम जानकारी है। जब तापमान बहुत अधिक होता है और वातावरण में नमी भी ज्यादा होती है तब शरीर पसीना निकालकर खुद को ठंडा नहीं कर पाता। ऐसा आमतौर पर उमस भरी गर्मी में होता है।

वैज्ञानिकों ने पाया है कि जब “वेट-बल्ब तापमान” (एक ऐसा तापमान जो पसीने से शरीर कितना ठंडा हो सकता है, यह बताता है) 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो मानव शरीर खुद को ठंडा नहीं रख पाता। ऐसी स्थिति में इंसान को भारी शारीरिक और मानसिक नुकसान उठाना पड़ता है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि उमस भरी गर्मी और लू से शरीर का तापमान नियंत्रण बिगड़ जाता है। इसकी वजह से भ्रम, बेहोशी, मांसपेशियों को नुकसान, प्रमुख अंगों का काम करना बंद हो जाना और मौत तक हो सकती है। उमस भरी भीषण गर्मी का संबंध तापमान के तनाव से भी है जो तब होता है जब पर्यावरण की परिस्थितियां शरीर की खुद को ठंडा करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। बहुत ज्यादा ताप तनाव के कारण शरीर का तापमान तीन डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक बढ़ जाता है और इससे शारीरिक चेतना को नुकसान पहुंचता है। यदि तुरंत उपचार न किया गया तो इसका शिकार व्यक्ति बेहोशी की हालत में जा सकता है और यहां तक की मृत्यु भी हो सकती है।

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