चावल की छह खास किस्मों में मिले कैंसर से लड़ने वाले गुण, ब्लूबेरी जितने ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट

वैज्ञानिकों ने चावल की 6 ऐसी किस्में खोजी हैं जिनमें कैंसर से लड़ने वाले प्राकृतिक एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व पाए गए हैं। ये गुण ब्लूबेरी जैसे सुपरफूड के बराबर हैं। यह खोज भारत-चीन जैसे देशों में कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम में अहम साबित हो सकती है।

Jun 4, 2025 - 10:39
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चावल की छह खास किस्मों में मिले कैंसर से लड़ने वाले गुण, ब्लूबेरी जितने ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट

नई दिल्ली (आरएनआई) वैज्ञानिकों ने चावल की ऐसी छह किस्मों की पहचान की है, जिनमें कैंसर से लड़ने वाले प्राकृतिक गुण पाए गए हैं। इन चावलों में शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्त्वों से रक्षा करने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट भी मौजूद हैं। यह खोज भारत और चीन जैसे एशियाई देशों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है, जहां बड़ी संख्या में लोग कोलोरेक्टल कैंसर जैसी बीमारियों से प्रभावित हो रहे हैं।

फिलीपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने इसका खुलासा दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से जुटाए गए 1.32 लाख चावल के नमूनों की गहराई से जांच के बाद की। इनमें से करीब 800 रंग-बिरंगे चावलों को चुना गया और उनके रसायनिक तत्वों व शरीर पर असर का परीक्षण किया गया।

इस प्रक्रिया में छह ऐसी किस्में सामने आईं जिनमें अत्यधिक मात्रा में कैंसर रोधी और एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व पाए गए, जो ब्लूबेरी और चिया सीड्स जैसे महंगे सुपरफूड में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुणों के बराबर थे। जब इन किस्मों का कैंसर कोशिकाओं पर परीक्षण किया गया तो उन्होंने बहुत उच्च स्तर के कैंसर रोधी गुणों का प्रदर्शन किया। इस शोध के नतीजे साइंटिफिक जर्नल फूड हाइड्रोकोलॉइड्स एंड हेल्थ में प्रकाशित किए गए हैं।

इन चावल किस्मों से बने चोकर (भूसी) का अर्क बेहद असरदार है और यह पानी में आसानी से घुल जाता है। इस अर्क से तैयार पोषक मिश्रण (सप्लीमेंट) की थोड़ी सी मात्रा भी कैंसर कोशिकाओं को रोकने में कारगर साबित हुई है। करीब 300 ग्राम चोकर से एक किलो तक पोषक मिश्रण तैयार किया जा सकता है। मूल्य और लागत के लिहाज से भी यह बेहद सस्ता है। इस अर्क के माध्यम से कई तरह के पोषक मिश्रण सप्लीमेंट बनाए जा सकते हैं। इन चावलों को जब जब पकाया जाता है तो ये किस्में  लगभग 70 प्रतिशत कैंसर-रोधी या एंटीऑक्सीडेंट गुण बनाए रखती हैं।

दुनियाभर में बुजुर्गों के लिए त्वचा कैंसर एक नई और तेजी से उभरती स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इस कैंसर के मामले चिंताजनक दर से बढ़ रहे हैं, जिनमें पुरुषों की हिस्सेदारी महिलाओं की तुलना में लगभग दो गुनी है। चीन के वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें 204 देशों के आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चला कि केवल 2021 में ही बुजुर्गों में त्वचा कैंसर के 44 लाख नए मामले दर्ज किए गए।

चीन की चोंगकिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध अध्ययन में त्वचा कैंसर के तीन प्रमुख प्रकार मेलानोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और बेसल सेल कार्सिनोमा पर 1990 से 2021 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। यह अध्ययन प्रतिष्ठित जामा डर्मेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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