अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर महमूदाबाद की अंतरिम जमानत बढ़ी; सुप्रीम कोर्ट ने मांगी SIT जांच की रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद को दी गई अंतरिम जमानत बढ़ा दी।

May 28, 2025 - 15:36
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अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर महमूदाबाद की अंतरिम जमानत बढ़ी; सुप्रीम कोर्ट ने मांगी SIT जांच की रिपोर्ट

नई दिल्ली (आरएनआई) अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एसआईटी गठित की गई है। अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जांच में शामिल हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की जांच पर रिपोर्ट मांगी और अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को दी गई अंतरिम जमानत बढ़ाने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के बोलने और अभिव्यक्ति के अधिकार में कोई बाधा नहीं है, बस वह मामलों के संबंध में कुछ भी ऑनलाइन पोस्ट नहीं कर सकते। कोर्ट ने हरियाणा पुलिस से प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ एफआईआर पर एनएचआरसी के नोटिस पर अपने जवाब के बारे में बताने को कहा।

जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की आंशिक कार्य दिवस वाली पीठ ने 21 मई को उन पर लगाई गई अंतरिम जमानत की शर्त को फिलहाल संशोधित करने से इनकार कर दिया। शर्त यह थी कि जांच के दायरे वाली दोनों ऑनलाइन पोस्ट से संबंधित कोई भी डिजिटल पोस्ट, लेख या मौखिक भाषण नहीं दिया जाएगा। शीर्ष कोर्ट ने प्रोफेसर को भारतीय धरती पर हुए आतंकी हमले या भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई के संबंध में कोई भी राय व्यक्त करने से भी रोक दिया था। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच का विषय प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर हैं। कोर्ट ने हरियाणा पुलिस से कहा कि वह जांच में बाएं-दाएं न जाए। उपकरण की तलाश करें। 

इससे पहले 21 मई को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कहा कि उसने गिरफ्तारी के संबंध में एक मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है। रिपोर्ट में उन आरोपों का सार है, जिनके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया है। इससे प्रथम दृष्टया खुलासा होता है कि प्रोफेसर के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है।

21 मई को ही शीर्ष अदालत ने प्रोफेसर को अंतरिम जमानत दे दी थी। हालांकि, उनके खिलाफ जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया था।

हरियाणा पुलिस ने महमूदाबाद को 18 मई को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई थीं। आरोप है कि ऑपरेशन सिंदूर पर उसके विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट ने देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डाला। दो एफआईआर एक हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर और दूसरी एक गांव के सरपंच की शिकायत पर सोनीपत जिले में राई पुलिस की ओर से दर्ज की गई थीं।

पुलिस ने बताया था कि आयोग अध्यक्ष की शिकायत पर अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली के खिलाफ बीएनएस धारा 152 (भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य), 353 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान), 79 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से जानबूझकर की गई कार्रवाई) और 196 (1) (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

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