असली पैसे वाले ऑनलाइन गेम खेलने के लिए आधार जरूरी, हाईकोर्ट का आयु सत्यापन के नियम में दखल से इनकार

मद्रास हाईकोर्ट ने असली पैसों वाले ऑनलाइन गेम के लिए आधार से आयु सत्यापन और रात 12 से सुबह 5 बजे तक गेमिंग पर रोक जैसे नियमों को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को देखते हुए ऐसे गेम पर नियंत्रण जरूरी है।

Jun 4, 2025 - 10:34
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असली पैसे वाले ऑनलाइन गेम खेलने के लिए आधार जरूरी, हाईकोर्ट का आयु सत्यापन के नियम में दखल से इनकार

नई दिल्ली (आरएनआई) मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को असली पैसे वाले ऑनलाइन गेम खेलने के लिए आधार के जरिए आयु सत्यापन के नियम में ढील देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक इन गेम पर रोक और अन्य प्रतिबंधों को बरकरार रखा। 

जस्टिस एस. एम. सुब्रमण्यम और जस्टिस के. राजशेखर की बेंच ने यह फैसला सुनाया। नई दिल्ली स्थित हेड डिजिटल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड और पांच अन्य ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं ने तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकर द्वारा बनाए गए 'ऑनलाइन गेमिंग (रियल मनी गेम्स) विनियम 2025' को असांविधानिक घोषित करने की मांग की थी।

इन याचिकाओं में यह आपत्ति जताई गई थी कि पहली बार लॉगिन करते समय आधार नंबर आधारित केवाईसी अनिवार्य की गई है और रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक गेम खेलने पर ‘ब्लैंक आवर’ यानी पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया है।

कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता अपने पक्ष में ऐसा कोई मजबूत आधार नहीं रख सके, जिससे उन्हें इस प्रक्रिया में राहत दी जा सके। कोर्ट की राय थी कि जब कोई ऑनलाइन गेम या मनोरंजन गतिविधि सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, तो उसे विनियमित किया जाना जरूरी हो जाता है। 

हाईकोर्ट ने कहा, राज्य सरकार केवल मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकती, जब बड़ी संख्या में लोग किसी खास ऑनलाइन गेम या व्यापार के जरिए गंभीर शारीरिक, मानसिक और आर्थिक जोखिम झेल रहे हों। ऐसी स्थिति में, अगर पूरी तरह से रोक लगाना संभव नहीं है, तो कम से कम कुछ नियम तो अनिवार्य रूप से लागू होने ही चाहिए। 

कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(जी) भी उचित प्रतिबंधों के अधीन है, जो किसी भी व्यवसाय को चलाने या व्यापार करने का अधिकार देता है। जनता के अधिकारों और व्यक्तिगत कारोबार के अधिकारों में संतुलन जरूरी है। कोई भी व्यक्ति अपने व्यापार के अधिकार के नाम पर अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकता। कोर्ट को उन लोगों के अधिकारों को भी  ध्यान में रखना होगा जो इन ऑनलाइन गेम को खेलते हैं। उनके अधिकार भी संविधान में सुरक्षित हैं और राज्य का दायित्व है कि वह उनकी रक्षा करे।

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