कुछ दिन और सताएगी गर्मी: जल्द पूर्वी भारत में मानसूनी की होगी एंट्री

आने वाले दिनों में जल्द ही कई राज्यों में मानसून दस्तक दे सकता हैं। एक नया मानसूनी सिस्टम बंगाल की उत्तर खाड़ी में 14 जून के आसपास बनने जा रहा है। यह एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन होगा जो अगले 48 घंटों में और मजबूत हो जाएगा। दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों जल्द ही झमाझम बारिश होने वाली है। 

Jun 13, 2025 - 18:46
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कुछ दिन और सताएगी गर्मी: जल्द पूर्वी भारत में मानसूनी की होगी एंट्री

नई दिल्ली (आरएनआई) गर्मी की मार झेल रहे लोगों के लिए राहत खबर की है। आने वाले दिनों में जल्द ही कई राज्यों में मानसून दस्तक दे सकता हैं। एक नया मानसूनी सिस्टम बंगाल की उत्तर खाड़ी में 14 जून के आसपास बनने जा रहा है। यह एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन होगा जो अगले 48 घंटों में और मजबूत हो जाएगा। यह सिस्टम ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश होते हुए राजस्थान की सीमा तक पहुंचेगा। इस रास्ते में यह कई राज्यों में बारिश की गतिविधियों को गति देगा।

2025 में दक्षिण-पश्चिम मानसून ने ज़बरदस्त और तेज शुरुआत की। 26 मई तक देश के 35 प्रतिशत हिस्से को कवर कर लिया था। यह मानसून आने की सामान्य तारीख से कहीं पहले है। हालांकि, इसके बाद यह पश्चिमी और पूर्वी दोनों दिशाओं में ठहर गया। पश्चिम तट पर मानसून मुंबई से आगे नहीं बढ़ा और पूर्वी भारत में यह बालुरघाट, दार्जिलिंग और कालिमपोंग तक ही सीमित रह गया। आमतौर पर 15 जून तक मानसून पूरे पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में फैल जाता है, लेकिन इस बार थोड़ी देरी हुई है।

निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर का कहना है कि, नया मानसूनी सिस्टम बंगाल की उत्तर खाड़ी में 14 जून के आसपास बनने जा रहा है। यह एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन होगा जो अगले 48 घंटों में और मजबूत हो जाएगा। यह सिस्टम ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश होते हुए राजस्थान की सीमा तक पहुंचेगा। इस रास्ते में यह कई राज्यों में बारिश की गतिविधियों को गति देगा। मुख्य बारिश 16 जून के बाद ही शुरू होगी। पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में 16 से 18 जून के बीच अच्छी मानसूनी बारिश देखने को मिलेगी। इन्हीं तारीखों में इन राज्यों में आधिकारिक रूप से मानसून के पहुंचने की संभावना है।

एजेंसी का अनुमान है कि, जैसे ही यह सिस्टम पश्चिम की ओर बढ़ेगा, यह मानसून की धारा को और फैलाएगा। 19 से 21 जून के बीच मानसून छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूर्वी मध्य प्रदेश को कवर कर लेगा। इसके बाद, सप्ताह के अंत तक मानसून की धारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पश्चिम और उत्तर मध्य प्रदेश, दिल्ली और पूर्वी राजस्थान तक पहुंचने की संभावना है।

इस बीच 13 से 15 जून के बीच मुंबई में भारी बारिश होने की संभावना जताई जा रही है। 13 जून को बारिश की तीव्रता सबसे ज़्यादा होगी, जबकि 14 और 15 को थोड़ी हल्की पर लगातार बनी रहेगी। इस दौरान बारिश की लहर घाटों के पार मध्य महाराष्ट्र तक भी पहुंचेगी। सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, रायगढ़, मुंबई जैसे कोंकण बेल्ट में जोरदार बारिश का सिलसिला देखने को मिलेगा। गोवा और उत्तरी तटीय कर्नाटक में भी बारिश तेज़ होगी।

एजेंसी का कहना है कि, बंगाल की खाड़ी से लगातार दो मौसम प्रणालियां बन रही हैं जो मुंबई में बारिश को बढ़ावा देंगी। पहला साइक्लोनिक सर्कुलेशन ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तट के पास बना, जो अब तेलंगाना और उत्तरी कर्नाटक तक पहुंच चुका है। इस सिस्टम के आगे एक कन्वर्जेंस ज़ोन (संधि क्षेत्र) बना है जो पश्चिमी घाटों के साथ फैला हुआ है। इससे कोंकण-कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों जैसे करवार, होनावर और मंगलुरु में भारी बारिश दर्ज हुई है।

दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली—एनसीआर समेत उत्तर भारत में गर्मी का प्रकोप जारी है। उमस से लोग परेशान है। हालांकि आने वाले दिनों में दिल्ली और आसपास के इलाकों में तापमान में अचानक बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। हवाओं की दिशा में परिवर्तन के कारण मामूली गिरावट देखी जा सकती है। इससे थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। स्काईमेट वेदर का अनुमान है कि, दक्षिण हरियाणा और दिल्ली क्षेत्र के ऊपर एक छोटा-सा चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है, जिसे चारों ओर से प्रतिचक्रवातीय घुमाव घेरे हुए है। इस सिस्टम में नमी की आपूर्ति नहीं हो रही है और ऊपरी वायुमंडल से भी कोई खास सहयोग नहीं मिल रहा है, जिससे फिलहाल कोई खास मौसम गतिविधि संभव नहीं है।

पश्चिमी विक्षोभ जो मौसम में बदलाव लाने में सहायक होता है, 14 जून को पहाड़ी इलाकों तक पहुंचेगा। पंजाब से लेकर दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश तक फैली पूर्व-पश्चिम ट्रफ रेखा अगले 3–4 दिनों तक दिल्ली के नजदीक बनी रहेगी। यह दिल्ली के मौसम को प्रभावित कर सकती है। अभी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्री-मानसून गतिविधियों की शुरुआत के लिए दो तत्त्व अनुकूल हो रहे हैं। पहला पश्चिमी विक्षोभ का एंट्री और दूसरा दिल्ली क्षेत्र में पहले से मौजूद चक्रवाती परिसंचरण है। ये दोनों तंत्र मिलकर एक साथ काम करेंगे और 15 जून (रविवार) को दिल्ली में धूल भरी आंधी और हल्की बारिश की शुरुआत कर सकते हैं। अगले दिन यानी 16 जून को बारिश और गरज-चमक के साथ तेज़ हवाओं की गतिविधियां और ज़्यादा प्रभावी हो सकती हैं। यह प्री-मानसून गतिविधियों का यह दौर दिल्ली में मानसून के आगमन की तैयारी का संकेत देगा। 

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