अब अमेरिका में पढ़ाई मुश्किल, छात्रों के नए वीजा इंटरव्यू पर ट्रंप प्रशासन ने लगाई रोक
अमेरिका में पढ़ाई के इच्छुक छात्रों को झटका लगा है। इसके तहत ट्रंप प्रशासन ने विदेशी छात्रों की सोशल मीडिया जांच की तैयारी में नए वीजा इंटरव्यू रोक दिए हैं। साथ ही विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सभी अमेरिकी दूतावासों को नए एफ, एम और जे वीजा इंटरव्यू शेड्यूल न करने का निर्देश जारी किया गया है।

वाशिंगटन (आरएनआई) अमेरिका में पढ़ाई की सोच रहे विदेशी छात्रों को एक बड़ा झटका लगा है। इसके तहत ट्रंप प्रशासन ने सभी अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को निर्देश दिया है कि वे नए छात्र वीजा इंटरव्यू फिलहाल न लें। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि प्रशासन विदेशी छात्रों की सोशल मीडिया जांच अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है। मामले में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो की तरफ से 27 मई को हस्ताक्षरित एक आधिकारिक पत्र के अनुसार, तत्काल प्रभाव से छात्र (एफएम) और एक्सचेंज विजिटर (जे) वीजा इंटरव्यू की नई तिथियां तब तक नहीं दी जाएंगी जब तक नई गाइडलाइन जारी नहीं होती।
इस पूरे मामले पर अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, 'हम व्यक्तिगत वीजा मामलों के बारे में बात नहीं कर रहे। हम व्यक्तियों के बारे में चुने गए विकल्पों की प्रकृति के बारे में बात नहीं करते। हम जानते हैं कि अमेरिका में आने वाले लोगों की जांच करने की प्रक्रिया को बहुत गंभीरता से लिया जाता है। हम ऐसा करना जारी भी रखेंगे। चाहे आप छात्र हों या पर्यटक, जिन्हें वीजा की जरूरत है, हम उन पर नजर रखेंगे। यह इतना विवादास्पद मामला लग रहा है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता ने कहा, 'हम यहां मीडिया के सामने जो कदम उठाए गए हैं, उनका ब्योरा नहीं बताने जा रहे हैं। जो तरीके हम इस्तेमाल करते हैं, वे शायद थोड़े प्रतिकूल लग सकते हैं, लेकिन यह एक लक्ष्य है। राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री रुबियो भी साफ कर चुके हैं कि अमेरिकी प्रशासन का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि जो लोग यहां आएं वे कानून को समझते हों।उनका कोई आपराधिक इरादा नहीं होना चाहिए। वे अमेरिका में योगदान देने वाले हों। प्रवास कितना भी छोटा या लंबा क्यों न हो, यहां आने वाले लोगों का अनुभव बहुत बढ़िया रहा है। उम्मीद है कि लोगों को यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन इस देश में आने का हकदार है और कौन नहीं।
प्रशासन चाहता है कि हर विदेशी छात्र की सोशल मीडिया गतिविधियों की गहन जांच की जाए, खासकर उन छात्रों की जो इस्राइल-विरोधी प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं। इससे वीजा प्रक्रिया काफी धीमी हो सकती है और अमेरिकी यूनिवर्सिटी को आर्थिक नुकसान भी हो सकता है, क्योंकि वे विदेशी छात्रों पर काफी निर्भर रहती हैं।
कुछ दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (एसईवीपी) की मान्यता रद्द कर दी थी। इससे अब हार्वर्ड विदेशी छात्रों को नामांकन नहीं दे सकता, और वहां पढ़ रहे विदेशी छात्रों को दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर करना होगा या अपना कानूनी स्टेटस खो देना होगा।
मामले में डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) का आरोप है कि हार्वर्ड ने एंटी-अमेरिकन और आतंक समर्थक प्रदर्शनकारियों को कैंपस में हिंसा फैलाने दी, जिससे यह एक असुरक्षित माहौल बन गया, खासकर यहूदी छात्रों के लिए।
ऐसे कई विदेशी छात्रों की वीजा रद्द कर दी गई है, जिन्हें अमेरिका में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में भाग लेते पाया गया। कुछ मामलों में तो निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें देश से बाहर कर दिया जाए।
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