बटला हाउस में चलेगा बुलडोजर!: 'सीधे नोटिस, हमारी नहीं सुनी', याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में रखा पक्ष

बटला हाउस में संपत्तियों को ध्वस्त करने के नोटिस में हस्तक्षेप से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। याचिका में कहा गया था कि 27 मई को उनकी संपत्तियों पर 15 दिन का बेदखली/ध्वस्तीकरण नोटिस चिपकाया गया था।  

Jun 3, 2025 - 10:21
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बटला हाउस में चलेगा बुलडोजर!: 'सीधे नोटिस, हमारी नहीं सुनी', याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में रखा पक्ष

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने जामिया नगर के बटला हाउस में संपत्ति मालिकों को जारी ध्वस्तीकरण नोटिस में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। याचिकाकर्ताओं से उचित अधिकारियों से संपर्क करने को कहा। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाश पीठ ने ध्वस्तीकरण नोटिस पर किसी भी अंतरिम रोक से इन्कार किया और मामले की सुनवाई जुलाई में तय की। निवासियों ने बेदखली और ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की  मांग की।

बटला हाउस में संपत्ति के मालिक सुल्ताना शाहीन और 39 अन्य लोगों ने याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि 27 मई को उनकी संपत्तियों पर 15 दिन का बेदखली/ध्वस्तीकरण नोटिस चिपकाया गया था। वकील अदील अहमद के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया, यह सुप्रीम कोर्ट के 7 मई के आदेश के बाद किया गया, जिसमें दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को बटला हाउस क्षेत्र में अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था। 

याचिका में कहा गया है कि यह कार्रवाई गलत थी क्योंकि उन्हें कभी भी उस मामले में पक्ष नहीं बनाया गया और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। याचिका में कहा गया है कि प्रभावित निवासियों को सुनवाई का पर्याप्त और सार्थक अवसर दिए बिना शुरू किया गया कोई भी व्यापक विध्वंस अभियान प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (ई) और 21 के तहत निहित मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन होगा।

याचिका में आगे कहा गया कि प्रभावित निवासियों का समूह, जिनके घर इस क्षेत्र में आते हैं, अब पीएम-उदय योजना के कवरेज से बाहर होने के कथित आधार पर ध्वस्त करने की मांग कर रहा है, जबकि उनके पास वैध शीर्षक दस्तावेज, 2014 से पहले निरंतर कब्जे का प्रमाण और संपत्ति अधिकार अधिनियम, 2019 की मान्यता के तहत पात्रता है। पीएम-उदय योजना का उद्देश्य दिल्ली में अधिसूचित अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को संपत्ति के अधिकार प्रदान करना या मान्यता देना है।

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