प्रौद्योगिकी न्याय की पहुंच बढ़ाने का परिवर्तनकारी माध्यम: लंदन में बोले CJI गवई
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि न्याय तक पहुंच बढ़ाने में तकनीक अहम है, लेकिन निर्णय प्रक्रिया में मानव हस्तक्षेप जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वचालित प्रणाली न्याय को समर्थन दे, उसे बदलें नहीं।

नई दिल्ली (आरएनआई) देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने भारत जैसे विशाल, विविधतापूर्ण और जटिल देश में न्याय तक पहुंच बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की शक्ति को परिवर्तनकारी बताया। ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में 'न्याय तक पहुंच बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका' विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में सीजेआई ने कहा कि प्रौद्योगिकी को न्यायिक कार्यों को मजबूत करना चाहिए। मगर इसे निर्णय लेने की प्रक्रिया बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सीजेआई ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए मौलिक सिद्धांतों का पालन करना होगा। प्रौद्योगिकी को न्यायिक कार्यों, विशेष रूप से तर्कसंगत निर्णय लेने और व्यक्तिगत मामले के आकलन को बदलने के बजाय इसे बेहतर बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वचालित प्रणाली न्यायिक निर्णय को बदलने के बजाय उसका समर्थन करे। उन्होंने कहा, नीतिगत हस्तक्षेप के बिना न्याय प्रदान करने के तंत्र में कोई क्रांति नहीं आ सकती। मानवीय निगरानी, एल्गोरिदम पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी-मध्यस्थ निर्णयों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने वाले शासन ढांचे को विकसित किया जाना चाहिए।
सीजेआई ने कहा कि न्याय प्रणाली में कोई भी क्रांति उचित नीतिगत हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं है। उन्होंने मानवीय निगरानी, एल्गोरिदम की पारदर्शिता और तकनीकी फैसलों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने वाले ढांचे विकसित करने की बात कही।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में, जहां दो-तिहाई आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और 121 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं, तकनीक ने अदालतों तक पहुंच आसान बनाई है। अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की मदद से कोई भी वकील, चाहे वह बिहार या महाराष्ट्र के दूर-दराज़ इलाके से हो, सुप्रीम कोर्ट में पेश हो सकता है।
इसके साथ ही सीजेआई गवई ने डिजिटल नवाचार पर आधारित अधिक समावेशी और उत्तरदायी कानूनी प्रणाली के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि न्याय तक पहुंच किसी भी निष्पक्ष और न्यायसंगत कानूनी प्रणाली की रीढ़ की हड्डी है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्ति, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक, भौगोलिक स्थिति या व्यक्तिगत परिस्थितियां कुछ भी हों, कानूनी प्रक्रियाओं में प्रभावी रूप से भाग ले सकें और उनसे लाभ उठा सकें।
अपने संबोधन में आगे सीजेआई गवई ने राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) की भी प्रशंसा की, जो देश भर के 18,000 से अधिक न्यायालयों के 23 करोड़ मामलों और 22 करोड़ आदेशों की निगरानी करता है। उन्होंने कहा कि इससे न्यायिक कामकाज में पारदर्शिता और नीति निर्माण में मदद मिल रही है।
इसके साथ ही सीजेआई ने तकनीक के अंधाधुंध प्रयोग को लेकर चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि डिजिटल डिवाइड एक गंभीर सच्चाई है। अगर गरीब, ग्रामीण या तकनीक से वंचित लोग इंटरनेट, उपकरणों या डिजिटल शिक्षा से वंचित रहते हैं, तो तकनीक उनके लिए नई दीवार बन सकती है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?






