'किसी को डांटना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है', सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय का फैसला बदला
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय का आदेश पलट दिया। उच्च न्यायालय ने स्कूल प्रभारी को बरी करने से इनकार कर दिया था।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने एक छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को बरी कर दिया है। एक स्कूल और छात्रावास के प्रभारी ने एक छात्र की शिकायत पर छात्र को डांट दिया था। डांटने के बाद छात्र ने आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद आरोपी स्कूल प्रभारी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि 'कोई भी सामान्य व्यक्ति यह नहीं सोच सकता कि डांटने से ऐसी त्रासदी हो सकती है। पूरे मामले पर विचार करने के बाद हमें लगता है कि कोई भी सामान्य व्यक्ति यह कल्पना नहीं कर सकता था कि एक छात्र की शिकायत के आधार पर छात्र को डांटने पर ऐसी घटना हो सकती है।' सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय का आदेश पलट दिया। उच्च न्यायालय ने स्कूल प्रभारी को बरी करने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्र की शिकायत पर डांटना एक उपचारात्मक उपाय है, जिससे लगे की शिकायत पर ध्यान दिया गया। आरोपी के वकील ने कहा कि डांट एक अभिभावक के तौर पर थी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मृतक दोबारा गलती न करे। वकील ने दलील दी कि शिक्षक और मृतक छात्र के बीच कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं थे।
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