हिमाचल के पांच जिलों में आज और कल बारिश, अंधड़ व ओलावृष्टि का ऑरेंज अलर्ट
हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी के कुछ क्षेत्रों में मंगलवार व बुधवार को बारिश, अंधड़ व ओलावृष्टि का ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है।

शिमला/धर्मशाला (आरएनआई) हिमाचल प्रदेश में येलो अलर्ट के बीच सोमवार को रोहतांग समेत पांगी-भरमौर की चोटियों पर बर्फबारी हुई। शिमला, चंबा, मंडी और कांगड़ा में झमाझम बारिश हुई। प्रदेश के पांच जिलों बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी के कुछ क्षेत्रों में मंगलवार व बुधवार को बारिश, अंधड़ व ओलावृष्टि का ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है। मैदानी क्षेत्रों में साफ रहने का पूर्वानुमान है। राजधानी शिमला में सोमवार शाम को शिमला में कुछ देर भारी बारिश और ओलावृष्टि होने से मौसम में ठंडक बढ़ गई है।
जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के साथ कुल्लू की चोटियों पर सोमवार को बर्फबारी हुई और निचले इलाकों में बारिश हुई। रोहतांग में सैलानियों ने फाहों के बीच खूब मस्ती की। चंबा में सोमवार सुबह तेज धूप खिली रही। दोपहर बाद अंधड़ और बारिश होने से लोगों को गर्मी से राहत मिली। जिला मंडी के जोगिंद्रनगर के रामलीला मैदान में तेज हवाओं के झोंकों से पंडाल गिर गया। यहां पर चल रहे एक धार्मिक कार्यक्रम के लिए श्रद्धालुओं के लिए लगाई गई कुर्सियां भी हवा के झोंकों से इधर-उधर गिर गईं। मंडी शहर में सोमवार दोपहर बारिश हुई। शाम के समय धर्मशाला, थुरल, धीरा और पालमपुर सहित अन्य क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ बारिश हुई। ऊना जिला में मौसम साफ रहा। दोपहर से समय जिले भर में गर्म हवाएं भी चलीं।
हिमाचल प्रदेश में दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। प्रदेश के लिए 1971-2024 की अवधि के दाैरान दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन में सामान्य वर्षा 734.4 मानी गई है। माैसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से सोमवार को इस संबंध में पूर्वानुमान जारी किया गया है। प्रदेश में मानसून सीजन जून से सितंबर तक चलता है। जून के दौरान प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। जून के लिए सामान्य बारिश 101.1 मिलीमीटर मानी गई है। मौसम विभाग के अनुसार सामान्य से अधिक बारिश कृषि और जल संसाधनों के लिए लाभकारी है, लेकिन बाढ़, परिवहन में व्यवधान, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान जैसे जोखिम भी लाती है। इन जोखिमों से निपटने के लिए रणनीतियों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, आईएमडी की प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का उपयोग करना, निगरानी और संरक्षण पहलों को मजबूत करना और विशेष रूप से कमजोर क्षेत्रों में प्रतिक्रिया तंत्र स्थापित करना शामिल हो सकता है।
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