सिसोदिया-सत्येंद्र जैन की फिर बढ़ीं मुश्किलें, भ्रष्टाचार मामले में एसीबी ने भेजा समन
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को सरकारी स्कूलों में क्लासरूम बनाने में कथित भ्रष्टाचार के मामले में समन भेजा है। सत्येंद्र जैन को 6 जून को एसीबी कार्यालय में बुलाया गया है, जबकि मनीष सिसोदिया को 9 जून को पेश होने को कहा गया है।

नई दिल्ली (आरएनआई) दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने दिल्ली के पूर्व मंत्रियों और आप नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को समन जारी किया है। सत्येंद्र जैन को 6 जून को एसीबी कार्यालय में बुलाया गया है, जबकि मनीष सिसोदिया को 9 जून को पेश होने को कहा गया है।
12,748 क्लासरूम और भवनों के निर्माण में कथित 2000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा यह मामला है। एंटी करप्शन ब्रांच की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली में आप सरकार के शासनकाल में 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में 2,000 करोड़ का भारी घोटाला सामने आया है। परियोजना को आम आदमी पार्टी से जुड़े कुछ ठेकेदारों को कथित तौर पर दिया गया था। निर्माण में भारी विचलन और लागत में वृद्धि देखी गई। इसके अलावा निर्धारित अवधि के अंदर एक भी काम पूरा नहीं हुआ।
एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा दर्ज केस में इन नेताओं पर दिल्ली सरकार के स्कूलों की कक्षाओं के निर्माण में भारी वित्तीय अनियमितता करने का आरोप लगाया गया है। आरोप यह भी है कि आम आदमी पार्टी से जुड़े ठेकेदारों को कक्षाओं के निर्माण का काम देकर वित्तीय गड़बड़ी को अंजाम दिया गया।
जांच एजेंसी ने दर्ज केस में आरोप लगाया है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार रहने के दौरान 12,748 कक्षाओं का निर्माण किया गया था। आरोप पत्र के अनुसार, इन कक्षाओं के निर्माण में घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन इसका पैसा बेहतर आरसीसी निर्माण तकनीकी की दर से वसूल किया गया। एजेंसी का आरोप है कि इस मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई है।
एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह भी आरोप लगाया है कि इन कक्षाओं के निर्माण में जिन 34 ठेकेदारों को निर्माण का ठेका दिया गया था, उनमें से ज्यादातर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए लोग शामिल थे। आरोप है कि इन्हीं लोगों से मिलीभगत कर घटिया स्तर की कक्षाओं का निर्माण कराकर वित्तीय गड़बड़ी की गई। इसमें बच्चों की सुरक्षा को भी दांव पर लगाया गया।
कई जगहों पर किसी कक्षा का निर्माण नहीं किया गया, लेकिन टॉयलेट को एक कक्षा बताकर उसकी कीमत को भी जनता के पैसे से वसूल किया गया था। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि दिल्ली की तत्कालीन सरकार ने एक ही स्कूल में चार-चार शिफ्ट में स्कूल चलाकर स्कूलों की संख्या बढ़ाकर दिखाई थी।
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