'पाकिस्तान से बदले में हमें दुश्मनी ही मिली', वैश्विक सुरक्षा सम्मेलन में बोले सीडीएस अनिल चौहान
सीडीएस ने कहा कि 'हम मध्य और पश्चिम एशिया से राजनीतिक रूप से जुड़े हैं, लेकिन भू-राजनीतिक रूप से अलग हैं। ऐसे में समुद्र हमारे लिए बेहद अहम हो जाता है। हमारे द्वीपीय क्षेत्र, हिंद महासागर में हमें गहराई तक पहुंच देते हैं, जो हमारे लिए रणनीतिक तौर पर फायदेमंद है और हमें बेहद समझदारी से इसका इस्तेमाल करना होगा।

सिंगापुर (आरएनआई) भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि भारत ने कई बार पाकिस्तान के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, लेकिन हमेशा हमें पाकिस्तान से बदले में दुश्मनी ही मिली है। उन्होंने कहा कि हालात देखते हुए अलगाववाद की रणनीति ही बेहतर दिखाई दे रही है। सिंगापुर में आयोजित हो रहे शंगरी-ला डायलॉग में अपने संबोधन में जनरल अनिल चौहान ने ये बात कही।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि 'भारत और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर अब हम बिना रणनीति के काम नहीं कर रहे हैं। जब हमने आजादी हासिल की थी, तब पाकिस्तान हर पैमाने पर हमसे आगे था, सामाजिक, आर्थिक और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद। लेकिन आज ज्यादा विविधता के बाद भी सभी मोर्चों आर्थिक, मानव विकास और सामाजिक सद्भाव के मामले में भारत आगे है। यह संयोग से नहीं हुआ बल्कि यह दीर्घकालिक रणनीति का परिणाम है।' भारत पाकिस्तान संबंधों को लेकर उन्होंने कहा कि 'कूटनीतिक रूप से साल 2014 में हमने आगे बढ़कर पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने की पहल की थी। उस वक्त पीएम मोदी ने पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था, लेकिन ताली एक हाथ से नहीं बजती और हमें बदले में हमेशा दुश्मनी मिली। इसलिए फिलहाल अलगाव ही एक अच्छी रणनीति हो सकती है।'
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि 'हमारा हिंद महासागर क्षेत्र पर पूरा फोकस है। खासकर उत्तरी बंगाल की खाड़ी में। हमारी भूराजनैतिक स्थिति ऐसी है कि हम उत्तर की तरफ से हिल भी नहीं सकते क्योंकि चीन के साथ तनाव जारी है। न ही हम पूर्व की तरफ बढ़ सकते हैं क्योंकि म्यांमार में अस्थिरता है।'
सीडीएस ने कहा कि 'हम मध्य और पश्चिम एशिया से राजनीतिक रूप से जुड़े हैं, लेकिन भू-राजनीतिक रूप से अलग हैं। ऐसे में समुद्र हमारे लिए बेहद अहम हो जाता है। हमारे द्वीपीय क्षेत्र, हिंद महासागर में हमें गहराई तक पहुंच देते हैं, जो हमारे लिए रणनीतिक तौर पर फायदेमंद है और हमें बेहद समझदारी से इसका इस्तेमाल करना होगा। हिंद महासागर के उत्तर में स्थित कुछ क्षेत्र हमेशा से हमारे लिए चिंता का विषय रहे हैं, लेकिन हमें सिर्फ उत्तर तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। अब हम दक्षिण की तरफ भी देख रहे हैं, जहां हमारे मेरीटाइम हितों के लिए काफी संभावनाएं हैं।'
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