चुनाव आयोग की राहुल को दो टूक- कांग्रेस ने चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद ही जताई मतदाता सूची पर आपत्ति

चुनाव आयोग ने कहा कि कांग्रेस ने महाराष्ट्र चुनावों के दौरान मतदाता सूची को लेकर कोई गंभीर आपत्ति दर्ज नहीं कराई और यह मुद्दा केवल चुनाव परिणाम आने के बाद उठाया। मतदाता सूचियां हर साल नियम के तहत संशोधित होती हैं और उनकी प्रतियां सभी मान्यता प्राप्त पार्टियों को नि:शुल्क दी जाती हैं।

Jun 13, 2025 - 12:14
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चुनाव आयोग की राहुल को दो टूक- कांग्रेस ने चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद ही जताई मतदाता सूची पर आपत्ति

मुंबई (आरएनआई) चुनाव आयोग (ईसीआई) ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी ने मतदाता सूची को लेकर कोई गंभीर आपत्ति दर्ज नहीं कराई। आयोग ने कहा कि विपक्षी पार्टी ने इस मुद्दे को तभी उठाया, जब चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके थे। चुनाव आयोग की ओर से यह बयान तब सामने आया है, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान 'मैच फिक्सिंग' हुई थी। 

आयोग ने यह भी कहा कि मतदाता सूचियों को भागादारी की प्रक्रिया के जरिए हर साल संशोधित किया जाता है और उनकी प्रतियां कांग्रेस सहित मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ नि:शुल्क साझा की जाती है। ये प्रतियां पहले मसौदा चरण में और फिर अंतिम रूप देने बाद नि:शुल्क दी जाती हैं। आयोग ने कहा, कांग्रेस ने यह मुद्दे चुनाव नतीजे सामने आने के बाद ही उठाया था। 

चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण या चुनाव प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस ने कोई गंभीर आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी। शनिवार को प्रकाशित एक अखबार के लेख में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनावों में 'मैच फिक्सिंग' के आरोप लगाए थे और दावा किया था कि ऐसा अगली बार बिहार चुनाव में भी होगा, जहां बीजेपी हार रही होगी।

इसने आगे कहा कि मतदाता सूचियों की तैयारी और संशोधन का काम जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम (आरईआर), 1960 के तहत किया जाता है। इस प्रक्रिया में राज्यभर के करीब एक लाख बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा व्यापक स्तर पर सत्यापन शामिल होता है। आयोग ने कहा कि मतदाता सूचियों को तैयार करना और अपडेट करना एक सतत प्रक्रिया है। 

मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने में अनियमितता के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कहा, किसी भी सांख्यिकीय उपकरण से की गई जनसंख्या की अनुमानित गणना को आधार बनाकर मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता या अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह उन वास्तविक व्यक्तिगत प्रपत्रों पर आधारित होती है, जो जनता से प्राप्त होते हैं। इसके बाद इनका क्षेत्र सत्यापन किया जाता है और प्रत्येक प्रपत्र पर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा निर्णय लिया जाता है। 

आयोग ने बताया कि 2024 महाराष्ट्र चुनावों से पहले मतदाता सूचियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया गया था। चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची की पहली और आखिरी कॉपी कांग्रेस और दूसरी राजनीतिक पार्टियों को दी गई। ताकि वे इसमें गलतियां बताकर सुधार करवा सकें। ये सूचियां कंप्यूटर में और कागज पर भी दी गईं।

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