गुजरात के मंत्री का बेटा मनरेगा घोटाला मामले में गिरफ्तार, दो दिन पहले अन्य केस में जेल से हुआ था रिहा
मामले में दाहोद के उप पुलिस अधीक्षक जगदीशसिंह भंडारी ने बताया कि जांच में और नाम सामने आ सकते हैं, और जिन सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत पाई जाएगी, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी।

दाहोद (आरएनआई) गुजरात सरकार के पंचायत और कृषि राज्यमंत्री बचुभाई खाबड़ के बेटे बलवंत खाबड़ को एक और मनरेगा घोटाले के मामले में रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब कुछ दिन पहले ही उन्हें एक पुराने मामले में जमानत मिली थी।
बलवंत और उनके भाई किरण, दोनों को 16 मई को मनरेगा से जुड़े एक कथित 71 करोड़ रुपये के घोटाले में धोखाधड़ी, जालसाजी और विश्वासघात के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 29 मई को दोनों को जमानत मिल गई थी। लेकिन जैसे ही किरण जेल से बाहर आए, पुलिस ने उन्हें एक और नए मामले में उसी दिन फिर से गिरफ्तार कर लिया। अब 1 जून को बलवंत को भी नए मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है।
दाहोद के 'बी' डिवीजन पुलिस थाने में 31 मई को एक नई एफआईआर दर्ज की गई। इसके अनुसार, बलवंत की कंपनी 'श्री राज कंस्ट्रक्शन कंपनी, पीपेरो' ने वर्ष 2022-23 में दाहोद जिले के धनपुर तालुका के भानपुर गांव में मनरेगा के तहत काम किए बिना ही ₹33.86 लाख की सरकारी भुगतान ले लिया। एफआईआर में कहा गया है कि बलवंत ने कुछ सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से बिना सामग्री की आपूर्ति किए और बिना काम किए हुए फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए भुगतान हासिल कर लिया।
यह इस घोटाले में तीसरी एफआईआर है, जो अप्रैल से अब तक दाहोद पुलिस ने दर्ज की है। पुलिस के मुताबिक, मनरेगा के तहत जिन एजेंसियों को काम और सामग्री की आपूर्ति का ठेका दिया गया था, उनमें से कई ने काम किए बिना ही फर्जी सर्टिफिकेट देकर भुगतान हासिल किया।
पहली एफआईआर के अनुसार, 2021 से 2024 के बीच कई एजेंसियों ने निर्धारित काम पूरा नहीं किया और न ही आवश्यक सामग्री पहुंचाई, लेकिन फर्जी 'वर्क कंप्लीशन सर्टिफिकेट' और अन्य दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपये की राशि वसूल ली। बलवंत और किरण दोनों उन एजेंसियों के मालिक हैं, जिन्होंने दाहोद जिले के देवगढ़ बरिया और धनपुर तालुका में ये काम किए थे। वहीं 29 मई को ही दाहोद 'बी' डिवीजन पुलिस ने एक और एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें किरण खाबड़ की कंपनी सहित अन्य एजेंसियों को लावारिया गांव में अधूरा काम करने के बावजूद ₹18.41 लाख का भुगतान किया गया था।
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