इस्राइल-ईरान तनाव: भारत की इंटरनेट कनेक्टिविटी खतरे में, अरब सागर की डिजिटल लाइफलाइन पर भी मंडरा रहा संकट

पश्चिम एशिया में इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव तीसरे विश्व युद्ध की ओर साफ संकेत कर रहा है। ऐसे में इस तनाव का असर अब भारत पर भी पड़ सकता है। जहां इस बढ़ते संघर्ष से भारत की वैश्विक इंटरनेट पहुंच प्रभावित हो सकती है। वहीं अरब सागर के नीचे बिछी फाइबर केबलों पर भी खतरा मंडराने लगा है।

Jun 18, 2025 - 11:25
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इस्राइल-ईरान तनाव: भारत की इंटरनेट कनेक्टिविटी खतरे में, अरब सागर की डिजिटल लाइफलाइन पर भी मंडरा रहा संकट

एशिया (आरएनआई) पश्चिम एशिया में इस्राइल और ईरान के बीच तीव्र होते संघर्ष का असर सिर्फ सैन्य और कूटनीतिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका सीधा प्रभाव भारत जैसे देशों की इंटरनेट कनेक्टिविटी पर भी पड़ सकता है। यह आशंका पश्चिम एशिया स्थित कई इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म पर व्यक्त की हैं।

अरब सागर के नीचे बिछी फाइबर ऑप्टिक केबलों के जरिएये भारत की वैश्विक इंटरनेट पहुंच बनी हुई है और इस नेटवर्क का बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया से होकर गुजरता है। ऐसे में यदि युद्ध बढ़ा तो यह डिजिटल लाइफलाइन खतरे में पड़ सकती है। संघर्ष बढ़ने पर केवल इंटरनेट ही नहीं बल्कि कई अन्य संचार नेटवर्क भी प्रभावित हो सकते हैं। भारत सहित एशिया और यूरोप के बीच जो सूचना और संचार प्रवाह है, उसमें पश्चिम एशिया एक संवेदनशील डिजिटल कॉरिडोर के रूप में कार्य करता है।

भारत की इंटरनेशनल इंटरनेट कनेक्टिविटी का बड़ा हिस्सा सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल्स (एसओएफसी) पर निर्भर है, जो अरब सागर और लाल सागर के रास्ते यूरोप, अमेरिका और अन्य देशों से जुड़ती हैं। इन केबल्स का एक प्रमुख मार्ग मिस्र, सऊदी अरब, जॉर्डन, इस्राइल और भूमध्यसागर से होकर गुजरता है। इराक और इसके आसपास यदि युद्ध तेज होता है तो इन समुद्री मार्गों पर खतरा मंडरा सकता है, जिससे इंटरनेट स्पीड, डाटा ट्रैफिक और ट्रांजिट समय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

युद्ध की स्थिति में यदि समुद्री इलाकों में नेविगेशन और मेंटेनेंस गतिविधियां बाधित होती हैं या केबल्स क्षतिग्रस्त होती हैं तो भारत की डाटा ट्रैफिक क्षमता सीमित हो सकती है। इसका असर विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय कॉल्स, वीडियो स्ट्रीमिंग, क्लाउड सर्विसेज और ऑनलाइन लेन-देन पर पड़ सकता है। कई बार बैकअप रूट होते हैं, लेकिन उनकी क्षमता सीमित होती है और वे हाई ट्रैफिक को लंबे समय तक संभाल नहीं सकते।


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