समस्त धर्म ग्रंथों के प्रकांड विद्वान थे ब्रह्मलीन पंडित राजवंशी द्विवेदी महाराज : स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज
(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन (आरएनआई) चैतन्य विहार फेस - 2 स्थित संस्कार लोक गुरुकुलम में प्रख्यात अध्यात्मविद् ब्रह्मलीन पंडित राजवंशी द्विवेदी महाराज की 22 वीं पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में अव्यय पद प्राप्ति महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।सर्वप्रथम उनके चित्रपट का संतों व भक्तों के द्वारा पूजन-अर्चन किया गया।साथ ही साथ ही उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण किया गया।
इस अवसर पर आयोजित सन्त-विद्वत संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए श्रीउमाशक्ति पीठाधीश्वर स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन पंडित राजवंशी द्विवेदी महाराज वेद, पुराण, उपनिषद व शास्त्र आदि समस्त धर्म ग्रंथों के प्रकांड विद्वान थे।
विश्वविख्यात भागवताचार्य डॉ. श्याम सुन्दर पाराशर एवं डॉ. सच्चिदानंद द्विवेदी महाराज (भैयाजी) ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव ब्रह्मलीन पंडित राजवंशी द्विवेदी महाराज सहजता, सरलता, उदारता व परोपकारी के मूर्तिमान स्वरूप थे।
महोत्सव के संयोजक डॉ. अशोक शास्त्री व श्यामेश शास्त्री ने कहा कि पूज्य सदगुरुदेव ब्रह्मलीन पंडित राजवंशी द्विवेदी महाराज अपने समस्त शिष्यों की एक माता की भांति देखभाल करते थे।उनके द्वारा वेद अध्ययन करने वाले शिष्य आज विश्वभर में सनातन धर्म की पताका लहरा रहे हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं आचार्य राजेश किशोर गोस्वामी ने कहा कि ब्रह्मलीन पंडित राजवंशी द्विवेदी महाराज की ठाकुर श्रीराधा-कृष्ण और वृन्दावन के प्रति अपार निष्ठा थी।उन्होंने श्रीधाम वृन्दावन से बाहर न जाने का संकल्प लिया हुआ था।
इस अवसर पर भागवताचार्य विपिन बापू, आचार्य नेतपाल शास्त्री, संत प्रियाशरण भक्तमाली, आचार्य शिवांश भाई मिश्र, संगीताचार्य बनवारी महाराज, डॉ. प्रमोद कृष्ण शास्त्री, आचार्य दिव्यांशु गोस्वामी, रासाचार्य स्वामी रामशरण शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, स्वामी प्रेमशरण शर्मा, महन्त किशोरी शरण भक्तमाली, डॉ. रामदत्त मिश्रा, आचार्य अवधेश शास्त्री, भजन गायक चन्दन महाराज, पण्डित श्याम सुन्दर ब्रजवासी, आचार्य नरोत्तम चतुर्वेदी, आचार्य पवन महाराज, आचार्य प्रथमेश गोस्वामी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य सुखेन्द्र मिश्र ने किया।इससे पूर्व आयोजित सरस भजन संध्या संपन्न हुई।जिसमें प्रख्यात संगीतज्ञ पण्डित कामोद मिश्रा ने ठाकुर श्रीराधा-कृष्ण की महिमा से ओत-प्रोत भजनों का गायन कर सभी को भाव-विभोर कर दिया।
महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।जिसने सैकड़ों भक्तों-श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
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